गुरुवार, 3 जून 2021

 दीवारों की दुनिया ।

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एक राजकुमारी थी । अपने राजा पिता की एकमात्र संतान । माँ बचपन में ही चल बसी थी । राजकुमारी बड़ी हुई । राजा भी वृद्ध हो चला था । अतः उसने सोचा मरने के पहले कुछ यादगार चीज बना कर जाऊं । सभा बुलाई गई । सबों ने एक से बढ़कर एक प्रस्ताव दिया । पर किसी का प्रस्ताव अच्छा नहीं लगा । एक दिन उसने एक सपना देखा कि वो एक बाग में है । और जहाँ रंग रंग के फूल खिले हैं । वह राजा अति प्रशन्न हुआ । कि उसके सपने में जो दिखाई दिया वो अगर सच में हो जाए तो बहुत अच्छा हों।
दूसरे दिन फिर सभा पुनः बुलाई गई । बाग लगाने का प्रस्ताव तो सबको अच्छा लगा पर ये तो कोई कह नहीं सकता कि कल ये पौधे जीवित रहेंगे या नहीं । उसकी सुरक्षा के लिए और उसकी विशेष पहचान के कारण एक जादूगर की मदद ली । उस राजा ने एक बाग लगवाया । जो कई जादूगरी विशेषताओं से लैस थी । बहुत दिन हुए । प्रसिद्धि फैली और चारों तरफ के दुश्मनों ने सोचा अगर वो बाग हमें प्राप्त हो जाए तो अच्छा होगा । लड़ाई छिड़ी । राजा मारा गया ।

अब राजकुमारी अकेली रहती है एक गुप्त जगह पर जहाँ की जानकारी किसी को भी नहीं । राजा ने इसी सुरक्षा के लिए उसे बनवाया था ।
वो राजकुमारी अकेले रहती । उसके साथ कोई नहीं था । वह जब अपने कमरे की दीवार को देखती तो उसके पूर्वजों की उसे तस्वीर दिखाई देती । कई बार उसके पूर्वज उसके सपने में आते । वे कहते कि हमें मुक्त कर दो । हमें मुक्त कर दो । मैं इस दीवार में अब नहीं रहना चाहता । कई बार वो सोचती रहती कि पूर्वजों के जो चलचित्र दिखाई देते है । वो ऐसा क्यों होता है । कई कई बार उसके जेहन में ये बात इसलिए आती हो कि वो इस भवन से बाहर जाना चाहती है । पर जा नहीं सकती ।
एक बार उसके कमरे में एक चिड़ियाँ घुस गई । चिड़ियाँ बहुत कोशिश करती बाहर जाने की पर नहीं जा पा रही थी । वह जितनी बार उड़ती छत से टकरा जाती । कभी पर्दे से वह उलझ जाती । खिड़की दिख नहीं रही थी उसे । बसे एक बार देखा भी तो रॉड की धारियां उसे निकलने नहीं देती । अगर निकलती तो उसके पंख कट जाते ।
चिड़िया के इस उलझन को देखकर उसे अपनी याद आने लगी ।
तभी चिड़ियाँ उस राजकुमारी से कहती है क्या तुम मुझे यहाँ से निकलने में मेरी मदद कर सकती हो । हाँ, कर सकती हूँ । इतना कहते ही ग्रिल और खिड़की दोनों खोल दी । वो चिड़िया बोली चलो तुम भी मेरे साथ । राजकुमारी बोली मैं अभी नहीं जा सकती ।
आज उसे फिर स्वप्न आया कि वो खुद घर की दीवार में चुन गई है । वह पत्थर में कैद नहीं होना
चाहती । जैसे ही वह यह बात बोली नींद टूटगई ।
वो सोचने लगी स्वप्न का संसार भी अजीब होता है । जो वास्तविक होने पर भी उसका कोई वजूद दिखाई नहीं पड़ता । पर उसे भाव अभी तक मन को आक्रांत किए हुए थे ।
वह सुबह भाग जाने का निर्णय की । और सुबह होने के पहले भाग गई । सबसे बचते हुए तो निकल गई पर वो ऐसे बाग में जा पहुंची जहां हरे घास के पौधे से दीवार बने हुए है । घास के गलीचे हैं । वो पहले से यहाँ खुश है । चारों तरफ हरियाली । फल फूल की कोई कमी नहीं । पर यहाँ रहते हुए उसे कई वर्ष हो गए । इससे भी वो ऊब गई । क्योंकि यहाँ कुछ भी नया नहीं होता । सब कुछ एक जैसा बना रहता । फूल खिलते हवा में हिलते डुलते पर कोई विशेष आकर्षण नहीं रह गया हो जैसे अब उसमें । वो सुबह से शाम तक खोजती रहती , भूख लगता फल तोड़ कर खा लेती । तितली के साथ खेलती । फिर थक कर सो जाता । फिर उठती तो उन्हीं दीवारों से खुद को घिरा पाती । ये कैसी दुनिया है जो खत्म ही नहीं होती । बहुत प्रयत्न कर थकहार कर बैठ गई । वो अब निर्णय करना चाहती है अब वो जिन्दगी भर यहीं रहेगी । इससे शायद बाहर जाने का रास्ता नहीं है । ठीक उसी समय उसे एक चिड़िया की आवाज सुनाई पड़ी । और उसे याद आया यहाँ रहते हुए इतने वर्ष हो गए पर एक भी चिड़ियाँ दिखाई नहीं पड़ी । अभी जो आवाज सुनाई पड़ी वो तो उसी पक्षी का लग रहा है जो वर्षों पहले मेरे महल के कमरे में फंस गई थी । आज फिर वही चिड़ियाँ उसे मिली पर वो घायल है । किसी तरह पत्तियों के रस से उसका उपचार करने पर जान बची । अब पक्षी बोली तुम यहाँ से कैसे आ फंसी । आजतक कोई नहीं यहाँ से जा पाया । यहाँ से निकलने का एक ही रास्ता है अगर तुम वो करोगी तो तुम निकल जाओगी । चिड़ियाँ के कहने पर वो आँख बंद की । बोली मैं जिस तरफ से आवाज दूंगी तुमको उधर ही चलते चलते आना है । बीच में आँख पर लगी पट्टी मत खोलना । और कुछ ही देर में किसी तरफ संतुलन बिठाते बिठाते वो ऐसी जगह पहुंच गई जहाँ बहुत सारे पक्षियों की आवाज सुनाई देने लगी । चिड़ियाँ के कहने पर वो अपने आँख पर लगी पट्टी खोलती है , वह खुद को पाती है कि ऐसे जगह आ गई जहाँ दूर दूर तक कोई दीवार नहीं हैं । यहाँ अब कुछ भी कृत्रिम नहीं । पेड़ पौधे पहले से कहीं ज्यादा खुश और जीवंत । दूर तक फैला समुद्र है , दूर पहाड़ों पर हरियाली दिख रही है । नीला आकाश । खूब सूरत बादलों की आकृति, सूरज की खुशनुमा धूप । सब कुछ कितना सुखद लग रहा पहले की तुलना में । वो पहले इतना बड़ा जगह देखी ही ना । आकाश की विशालता और सुदूर मैदानी इलाके से पहली वह खुशी से नाचने गाने लगी । इतनी खुशी पहले कभी नहीं हुई थी ।
रात हुई । पूर्णिमा की रात थी । आकाश में उड़ते बादलों और चांद की शीतल रोशनी को देखते देखते सो गई । वह स्वप्न देखती है कि वो चिड़ियाँ एक परी है वो उसे अपने परी लोक ले जा रही है । परी लोक से जब पृथ्वी पर झांकती है तो उसे लगता है वो जिस दुनिया से आई है वो तो दीवारों की दुनिया है । पूरी पृथ्वी भी एक अदृश्य दीवार से हवा से घिरी हुई है । और हर पल दृश्य बदल रहे है । सब कुछ जीवंत है पर सबकुछ बंधन में है । पृथ्वी पर होना ही है बंधन में पड़ना । वहाँ स्वतंत्रता है कहाँ । हर तरफ दीवार ही दीवार हैं । सबकुछ बंटा हुआ , बंधा हुआ है ।
अच्छा होता कि मैं भी यही रहूँ परी लोक में ही । राजकुमारी मन ही मन कहती है । परी बोली अभी तुम्हारा समय नहीं आया । जो दूसरों की सेवा में अपना जीवन दे देती है । वह स्वतः इस लोक में आ जाती है । तुम भी इंसानियत की बातों का पालन करोगी, दूसरों की मदद करो । तो तुम्हें भी मनचाहा पद ,जगह, सम्मान मिल जाएगा ।

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#rachnatmak_sansar
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