गुरुवार, 3 जून 2021

" वो अंतिम शब्द " - (प्रेम कहानी)
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" हेलो" की आवाज सुनकर मधु उत्तर देती है ।
" हाँ, मैं बोल रही हूँ ।" (उदासी से)
" हाँ । बोलो ।" ( आशंका लिए, राज बोला )
"बोल रही थी कि ....."
(दो पल खामोशी दोनों तरफ)
"बोलो..."
"तुम बोलो, "
" मेरे पास कुछ नहीं.... ,नहीं रहने दो । "(असमंजस होकर बात बदलते हुए )
"देखो तुमको सब पता है ना, "
"क्या, नहीं , कुछ बताओगी तब तो ।"
"वही सब"
"देखो मैं कल घर जा रही हूँ, "
"हाँ , "
"तो....."
"कुछ नहीं, "
"कितने बजे आना है मुझे"
"शायद ये लास्ट ..."
" मीटिंग हो हमारी, ठीक है । कंपाउंड में वेट करते हैं । "
बोल्ड टोन में एकाएक कह तो गया पर , राज, कुछ अजीब से ख्याल में , मन में एक उलझाव, सब कुछ टूटने जैसा बिखरने जैसा फील करता है । कुर्शी पर बैठे बैठे सोचने लगता है ।
क्लास में , वो डिस्टर्ब करके हँसना, क्लास 10th,
और मेरा गुस्सा हो जाना ।
कई बार सर से डाँट सुनना । कॉपी में प्रेम पत्र, शायरी वो भी मधु के नाम से लिखने पर ।
फिर एलेवन ट्वेल्व , मित्रता में कोई कमी नहीं बल्कि उसका फ्लेवर चेंज हो रहा था । दोस्ती प्यार में या प्यार जैसा कुछ होने की फीलिंग शुरू हो गई थी ।
एक दिन तो राज अपनी चाची से कहता है । वो एक लड़की भी देख चुका है अपनी शादी के लिए । फिर क्या था उसके घर में भी उसे चांटे लगे ।
मगर यही तो है इश्क , जो एक बार लग गई सो लग गई । बड़ी जबदस्त दाग है किसी भी डिटर्जेंट से नहीं छूटने वाली ।

अब तो मधु के पिता जी , जो कपड़े के व्यवसायी हैं, को भी इन दोनों की दोस्ती की खबर कानों में पड़ने लगी थी । ये बात अलग थी कि वे बस ऐसे ही बच्चों की दोस्ती समझ रहे थे । एक और बात ये थी कि उन्हें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था ।
ग्रेजुएशन की बारी आई । मधु का एडमिशन कॉमर्स में हुआ । और राज का केमिस्ट्री में । दोनों की ब्रांच अलग अलग थी मगर अब दोनों में प्यार का व्यापार और रिस्ते की केमिस्ट्री पूरे जोर पर थी । फर्स्ट ईयर में दोनों समझ चुके थे कि दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं । अब सिर्फ दोस्ती, प्यार ही नहीं शादी भी करने वाले हैं ।और आलम ये था कि, वे दोनों प्यार रोमांस का सर्वोच्च शिखर छूने के करीब पहुँच गए थे ।
सेकंड ईयर में दोनों की बात कुछ गड़बड़ा सी गई हुआ ये कि जब दोनों ने एक दूसरे के अभिभावकों को बताया तो कई सवाल सामने खड़े हो गए ।
दोनों के परिवार में , पेशे में, जाति वैगरह में मतभेद तो था ही किन्तु सबसे बड़ा प्रॉब्लम मधु के पिता जी ने उजागर किया , वो ये था कि उसकी उम्र देखो और अपनी उम्र देखो । उसकी पर्सनालिटी देखो और अपनी देखो । वो अभी जॉब करेगा अभी किया नहीं है । तुम्हारी उम्र निकली जा रही है । अब पढ़ाई लिखाई छोड़ कर यहीं रहो । शादी हो जाने के बाद जैसा होगा फिर सोचना । मधु चुपचाप खड़ी होकर सुन रही थी । फर्श पर आँखें गड़ाए ।
वो कितना भी प्रयास की पर पिता जी कहाँ मानने वाले थे ।
कुछ ही दिनों में मधु के लिए लड़का सेलेक्ट हो गया । मधु भी काफी उधेड़बुन ,सोच विचार , जज्बातों के उहापोह में ऐसा उलझी हुई थी कि उसे सिर्फ राज के दूसरा कोई नहीं जंचता । और इसी स्थिति में वो सोची की राज के साथ बात कर कुछ बात निकले ।
कंपाउंड खाली सा । राज , मधु के इंतजार में बैठा है । सोचता है , ज्यादातर दिनों में यहाँ कितनी चहल पहल होती थी । पेड़ के सूखे पत्ते, निर्जीव पड़े हुए, वातावरण को बड़े उदासीन से कर रहे थे । राज का मन कई कई बातों की कल्पना में डूबने उतरने लगा। "वो शायद बोलेगी पिता जी मान गए । या कुछ दिन का वक्त मिलेगा । या पिता जी हमें बुलाने को कहे होंगे । और ना जाने पिछली कितनी यादें जो वहीं कंपाउंड में हुई थी । एक एक कर याद आ रहे थे ।"
और अचानक वो आती है पीछे से
कितनी देर से फोन ट्राय कर रही हूँ ।
ओह... आ..गई । थोड़ा घबराते हुए ।
पॉकेट से फोन निकलता है , बैटरी लो, होकर स्विच ऑफ हो गई, रूम पर ही टेन परसेंट था, यहाँ एक डेर घंटे में बंद हो गई होगी ।
राज , मधु से कहता है ।
मधु आज ऐसे आ गई है , जिस हालात में राज ने उसे कभी नहीं देखा था । चिंता से उसकी आँखें धँस सी गई हों जैसे । जैसे रोकर रोकर चुप हुई हो । राज जब चेहरा देखता है उसे कुछ ऐसा ही आभास होता है ।
मधु जब राज को देखती है तो मधु उसे इतना सशंकित पहले कभी नहीं देखी थी । राज के आँखों में आशा की किरण थी पर थोड़ी सी बढ़ी हुई मात्रा बता रहे थे कि उसका दिल शायद उस बात को सुनना नहीं चाहता है जिसकी आशंका दोनों को है ।
माहौल गमगीन । एक दूसरे को संभालते हुए । और खुद के भीतर चल रहे उस बवंडर को रोकते हुए भी । जो सारी सरहदें तोड़ कर ना मालूम उस प्रेम आकाश में समा जाना चाहते हो । जिसे कोई भी जुदा ना कर सके । दोनों टहलते हुए , एक दूजे की उंगली पकड़े कुछ दूसरी बातें केमिस्टि, इकोनॉमिक्स, जॉब, बिजनस, फैमिली सब तरफ से घूम कर आने के बाद , अब जाने की बारी आई । दोनों एक दूसरे को बिना कुछ बोले समझ रहे थे । उनके चबूतरे पर बैठे चॉकलेट के टुकड़े के साथ वे दोनों सोच रहे , काश जिन्दगी भी इतनी मीठी होती । मधु सोच रही थी, मैं तो जो कहने आई थी नहीं कह सकती । वो अंतिम शब्द , अलविदा ।


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Rachnankar - Abhishek kumar "Abhinandan"

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