रविवार, 15 जुलाई 2018

रचनात्मक संसार @ फिल्मी –बातें



नैतिकता के साथ समझौता करने का अंजाम 
: बी॰ ए॰ पास 

माँ – बाप का एक हादसे में गुज़र जाना एक हादसे जैसा नहीं लगता एक धोखे जैसा लगता है । इस फिल्म का उक्त पहला डायलोग कुछ ऐसा ही है। जो चंद शब्दों में बड़ी बात कह देता है। अगर हम स्वयं अपनी या आँय किसी शक्स के हादसे की बात करें, चाहे वो हादसा किसी भी प्रकार का क्यों न हो । हर एक हादसा धोखा होता जो हमारी ज़िंदगी खुद हमें धोखा दे जाती है । ज़िंदगी किसने किसी की कब सुनी वह तो अपने मन से चलने वाली है।

फिल्म के मुख्य पात्र मुकेश कुछ इसी तरह के हादसे का शिकार हो जाता है। उसकी दो छोटी बहने हैं । सभी कॉलेज के विद्यार्थी हैं । तीनों अपनी बुआ के घर में रहते हैं। पर ये सिलसिला ज्यादा दीनो तक नहीं चलता । दो बहनों को प्रायवेट  होस्टल भेज दिया जाता है। और बुआ उससे घर के छोटे काम काज में उलझाते रहती है। बुआ को अपनी सहेलियों के साथ वही घर पर ही पार्टी मनाने का खूब शौक है। और इस पार्टी का सारा काम काज इसे ही करना पड जाता है। वो सबके जूठे प्लेट ग्लास उठाता है । 

उन्हें सर्व करता है। मुकेश इस तरह से उब चुका था। और खीज आकर उसकी मनोवृति भाँप कर उसकी बुआ उसे घर से निकाल देती है । 

ज़्यादातर स्टूडेंट्स जब वो ग्रेजुएशन में होता है तो उसे जिन्दगी का दांव पेंच मालूम नहीं रहता । फिर भी मुकेश काम से कम शतरंज का दाँव पेंच मालूम था। वो बचपन से ही सतरंज खेलने का शौकीन था। इसी खेल ने उसे एक मित्र से मिलवाया। वह मित्रा डेड बॉडी बॉक्स का काम करवाता था। केवल दोस्ती से जिन्दगी नहीं चलती। ज़िंदगी जीने के लिए सबसे जरूरी चीज है पैसा । ऐसा सबलोग कहते हैं किन्तु कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जो जिन्दगी सँवार देते और कुछ दोस्ती वह भी लड़कियों से हो सकता है जिन्दगी खत्म कार्वा दे। पीआर उस भोले भले लड़के जो बी ए के सभी छात्रों का एक तरह से प्रतिनिधि चेहरा है। उसे भी एक लड़की ने अपने सेक्स का शिकार बना लिया। वह लड़की शादी शुदा होते हुए भी अपने पति से संतुष्ट नहीं है। दर्शकों के लिए दिलचस्प बात यह होती है जब वे जानते हैं कि यह लड़की ऐसे कितने लड़कों का यूज कर रही है। साथ उसे वेश्या वृत्ति के काले धन्धे में फंसा रही थी। 

पहले सेक्स फिर गुस्सा फिर नशा फिर हत्या । यही तो होता आया है इस तरफ चले गए लोगों का और इस कहानी में भी यही हुआ पहले किसी और इस कहानी में भी यही हुआ पहले किसी और कि हत्या फिर बाद में अपनी स्नातक कक्षा में लड़के जवानी के उफान पर रहते हैं और अगर इस उफान को नियंत्रित कर अपना ध्यान ज़िंदगी के लक्ष्य पर होना चाहिए सतत उसे पाने के लिए किए गए प्रयास से आनंद लेना चाहिए। लेकिन ये तो फील्म  है यहाँ तो वही होता है जो नहीं होना चाहिए। अगर किसी ने इस दौरान जरा सी चूक कि तो उसका कहीं अता पता नहीं रहता। 

बिना लगाम के घोड़ा कैसे कोई रुकावट नहीं देखता ठीक यही होता है सेक्स की दुनिया में। ये एक ऐसा दरिया है जिसमें आप बहते चले जाते हैं और आप को पता नहीं चलता । सेक्स सबसे बड़ा शत्रु है, यही इस फिल्म का संदेश है। वेश्या वृत्ति के जल से जकड़ा हुआ इंसान कभी बाहर नहीं निकल सकता यही तभी संभव है जब उसकी मौत आए। और कुत्ते की मौत देना इस धन्धे का बड़ा प्रमुख सगल रहा है। मुकेश के साथ भी कुछ ऐसी ही ट्राज्ड़ी आई एक तरफ पुलिस उसके पीछे थी एक तरफ इस धन्धे में वह मुजरिम भी बन चुका था। वह यह सब गलत काम पैसे के लिए ही कर रह था किन्तु पैसे न मिलने की वजह से वह उस मैडम का ही खून कर देता है जिसे उसने इस धन्धे में उतारा था। न उसे पैसा मिला। न उसे तृप्ति मिली। न वह अपने ज़िंदगी में कुछ कर ही पाया अब उसे फैसला लेना था कि अपने दो बहनों के सामने काले चेहरे लिए कैसे जाएगा या फिर इस ज़िंदगी में कैसे सांस ले पाएगा जब हर जगह से दुर्गंध आ रही है। 

बी ए पास सिनेमा जो की एक घंटे 35 मिनट की फिल्म है जिसे कई सारे अवार्ड मिले हैं। जिसमें प्रमुख है - Filmfare Critics Award for Best Actress, Screen Award for Best Villain, Screen Award for Best Story जिसके डाइरेक्टर है अजय बहल और यह फिल्म आधारित है लेखक मोहन सिक्का के एक कृति जिसका नाम है 'एक रेलवे आंटी'।

जहां तक इस फिल्म के कास्ट पर बात करें तो मुख्य रूप से चार किरदार हैं इस फिल्म में। 

सारिका ,मुकेश, खन्ना, जोनी जिसका रोल क्रमशः अदा किया है शिल्पा सुकला,राजेश शर्मा, देवेन्दु भट्टाचार्य ने । 

इस फिल्म की मुख्य अदाकारा शिल्पा सुक्ला जो बिहार से है जिन्होंने चक दे इण्डिया फिल्म में भी अपनी आदाकारी का परचम लहराया है। इनकी आँय फिल्में -भिंडी बाजार , क्रेज़ी कुक्कड फॅमिली फ्रमुख हैं। 

मुकेश का किरदार निभाया है सहदाब कमाल ने , जिनकी अन्य फिल्में हैं मेरठिया गंगस्टर और हर हर ब्योमकेश

अनुला नव्लेकर और शिखा जोसी ने छोटा सा किरदार निभाया है । शिखा जोशी अंधेरी मुंबई से ताल्लुक रखने वाली ये एक्ट्रेस का 2013 में अज्ञात कारणो से निधन हो गया। अनुला नव्लेकर दिल्ली से है जो येल यूनिवरसिटि ऑफ आर्ट अँड ड्रामा की छात्रा हैं । 2016 मे आई ब्रहम नमन फिल्म में उन्होने काम किया है। 

राजेश शर्मा की आप कई सारे फिल्म देख चुके होंगे लव सब ते चिकेन् खुराना, रसे 3, द dirty पिक्चर आदि । ये न सिर्फ हिन्दी फिल्मों में बल्कि बांग्ला फिल्म में काम करते आ रहे हैं। जिन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड भी मिल चुका है। डिबयानशु भट्टाचार्य जो फिल्म देव D से ख्याति अर्जित की थी।



एक गाना होते हुए भी फिल्म कहीं से उबाऊ नहीं लगता । शुरू से अंत तक आप केरेक्टर से जुड़े रहेंगे किन्तु आज कल के फिल्मों में कोई पात्र संघर्ष के उच्च  स्तर तक नहीं पहुँच पाता। ज्यादा तर फ़िल्मकार या लेखक पात्र के आत्म हत्या पर अपने कहानी को समाप्त कर देते हैं । फिल्म जिस मुद्दे की बात करती है उसे और अधिक गंभीरता से पड़ताल का प्रस्तुत करनी चाहिए। 

- अभिषेक कुमार 

- abhnandan246@gmail।com 

- रचनात्मक संसार @ फिल्मी –बातें

- (19.10.2013)



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