गुरुवार, 3 जून 2021

 तीन दिन पहले का दिन


मोनू रोज सुबह उठकर दौड़ने जाता है । आज भी वो 4:32 में घर से निकल चुका है दौड़ने के लिए । उसने ये मन बना लिया है कि वह आर्मी में जरूर जाएगा क्योंकि की उसके एक चचेरे भाई ने दो साल पहले ही अपनी जॉइनिंग ले ली है । मोनू को मोबाइल गेम भी बहुत पसंद है । वो कितने सारे लड़ाकू गेमिंग एप अपने मोबाइल में इनस्टॉल किए हुए हैं । उसका मोटो यही कि मुझे भी देश की रक्षा करनी है ,।
सुबह हल्का हल्का कोहरा छाया हुआ है । उसे अपने अन्य साथी आते हुए नजर नहीं आ रहे । जैसे ही वह पुल के पास पहुँचता है देखता है ,उस तीखे मोड़ पर एक बड़ा सा पत्थर रखा हुआ है । सड़क के किनारे ही तो पड़ा । यही सोचते हुए दौड़ते दौड़ते आगे बढ़ गया। तभी उसके पास से एक स्कार्पियो तेजी से गुजरती है । इतने सट कर कि उसके होश उड़ जाते हैं । वो चिल्लाते हुए कहा "अजीब पागल है । दिखता नहीं है । "
गाड़ी अपने रफ्तार में चली गई । मोनू भी काफी दौड़ते दौड़ते आगे निकल चुका था । आगे बढ़ते ही उसके मित्र नजर आए । फिर आगे तक का चक्कर लगा कर लौटने लगे ।
ठीक उस पुल के पास पहुँचने से पहले देखते गाड़ी पलटी हुई है। अब सुबह काफी साफ हो चुका है । लोग भी ज्यादा संख्या में आने जाने लगे । वहाँ जब सब मित्र पहुँचे तो हैरत में पड़ गए । मोनू सोचने लगा ये गाड़ी अभी अभी गुजरी थी या। और बोला भी अपने मित्र से । फिर सबको समझ आ गया कि पत्थर के वजह से एक्सीडेंट हुआ है । दूसरी ओर रास्ता में गड्ढा था । सो ड्राइवर गड्ढे से बचते हुए पत्थर से टकराने की वजह से संतुलन खो बैठा । यही वहाँ सब लोग आशंका कर रहे थे,अनुमान लगा रहे थे । ये हुआ होगा, ये नहीं ।

दूसरे दिन तो मौसम ही इतना खराब हो गया कि घर से निकलना कठिन था । हवा, बारिश और मेघ चारों ओर से घेरे हुए थे । समाचार में बताया जा रहा था , यास नामक समुद्री चक्रवात उठा है । एक दो मौसम ऐसे ही रहेंगे । रूटीन टूटने में मन की स्थिति वैसे ही हो जाती है जैसे गर्म चाय रखे रखे ठंढी हो जाये और पहली घूँट लेकर देखें । तो लगेगा नहीं पी होती तो ही अच्छा था । मोनू को बैठे बैठे मन नहीं लगा ,निकाला अपना मोबाईल और गेम शुरू होगया । और शुरू हो गई फायरिंग की आवाज । एक दो घंटे बाद दिन भर घर में रहते हुए जैसे तैसे दिन कट गया अगले दिन सुबह ही उसका दोस्त जो उसके साथ दौड़ने जाता है , उसके घर पर आया । और दोनों में कौन सी छेड़खानी शुरू हुई कि मोबाईल जा गिरा फर्श पर । दोनों अवाक । ये क्या हो गया । दोनों ने एक दूसरे को देखा । वे जैसे बोल रहे हों , "तेरे ही कारण हुआ ये "। मोबाइल उठाकर देखने पर कैमरा खत्म, और साथ ही स्क्रीन भी कई कई हिस्से में टूट चुका है । फिर क्या, बकवास दोनों में जम कर हुई । दोनों तनाव में, ऊपर से मौसम खराब, ऐसा लगता जिस दिन वो एक्सीडेंट देखा है कुछ ना कुछ बुरा ही हो रहा है । अब बिना मोबाइल के टाइम बिताना और भी कठिन । ऐसे जैसे किसी ने हाथ पैर बांध दिए हों किसी ने उसके ।
रात में किसी तरह अपने कमरे में मोनू सोने की कोशिश कर रहा है । पर नींद कहाँ आवे, उस आँख को जो मोबाईल खेलते खेलते सो जाया करते थे । इतना सन्नाटा, अंधेरा ना जाने क्या सोचने लगा । शायद वो गाड़ी बाराती का होगा । बाराती का होता तो लोग भी तो होते । नहीं खाली गाड़ी होगी । एक्सीडेंट होने से पहले ही ड्राइवर अक्सर भाग जाता है । ये सब सोचते उसे कब नींद आ गई पता ना चला ।
अगली सुबह, मोबाइल बजते ही मोनू हड़बड़ा कर उठता है । देखता है कि अभी तो चार ही बजे हैं । बाहर पर्दा हटा कर देखने पर ।" दिन तो साफ है ।" लगता है वर्षा छूट गई । अपने कमरे की टेबल पर रखे ग्लास के करीब आकर । ग्लास उठाकर । पानी पीते हुए सोचता है, ये फोन कैसे बजा कल जबकि टूट चुका था । फिर डेट और टाइम देखता है । आज कौन सा डेट होना चाहिए उसे याद नहीं । फिर डेट को जानने के लिए अखबार उठाता है । देखता है ये तो कल की ही है । जिसमें मौसम पूर्वानुमान में आँधी तूफान आने की आशंका बतायी जा रही है ।
खैर , इतने में 4:32 हो गए और मोनू घर का बाहरी दरवाजा लगा कर चला जाता है ।
दौड़ते दौड़ते ठीक पुल के करीब पहुँच कर देखता है वो पत्थर वही है जहाँ उस दिन था । और हाँ उस दिन जो एक्सीडेंट हुआ था कोई निशान भी नहीं दिख रहा है । बगल की झाड़ी और किनारे का रास्ता बिल्कुल उखङ - उजङ गया था । हो सकता है दो दिन में सब ठीक हो गया हो । पर ये पत्थर । सोचते हुए बढ़ जाता । फिर क्या होता है , वो पत्थर उठकर बगल की ढलान पर लुढ़का देता है । इतने में गाड़ी आती है, सट निकल जाती है ।
मोनू देखता रह जाता है । ये तो उसी दिन की गाड़ी है क्योंकि उस गाड़ी के पीछे जो दिल का शेप बना था । उसे कैसे भूल सकते हैं ।
वो सोचने लगा ये टाइम ट्रेवल तो नहीं । ये सपना है या हकीकत । नहीं , नहीं हकीकत ही है । सपना नहीं ।
वो खुश था कि वो अपना मोबाइल बचा पाएगा । कल दिन - मौसम खराब रहेगा । जो काम करना है वो वक्त के पहले ही कर लो ।
चन्दन के आते ही वो मोबाइल छिपा कर रख देगा ।
मगर जैसे ही चंदन आया उसने अपने मोबाइल में कुछ दिखाया । फिर गेम शुरू हो गया । चंदन से जरा सी चूक हुई । और मोनू उससे फोन लेने लगा । मगर इसी क्रम में वही हुआ जो उस दिन हुआ था । मोबाइल फर्श पर गिर कर बिखर चुका था । मगर ये मोबाइल तो चंदन का है मेरा नहीं । मोनू खुश हुआ ।
और कहने लगा "उठाओ देखते हैं जोड़ कर कुछ हुआ तो नहीं । "
फोन को जैसे ही उठाकर बैटरी लगाता है । घनघनाना शुरू हो जाता है ।
खुद को अपने कमरे में सोया हुआ पाता है ।
आँखे खोलकर देखता है । अभी चार बजे रहे हैं ।
एक बरगी उसका दिमाग घूम सा गया, कही आज वही दिन फिर शुरु तो नहीं हो गया जो ....वो एक्सीडेंट वाला, तीन दिन पहले का दिन ।

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#abhinandan_creations

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