फ्लैट नं०13
******"गली से ये कैसी आवाज आ रही है, रामू जरा खिड़की खोल कर देखना तो " मुरलीधर ने कहा ।
मुरलीधर दर्शनशास्त्र के रिटायर्ड प्रोफेसर हैं । जो एक कमरे के फ्लैट में अकेले रहते हैं ।
रामू चाय लाकर सामने टेबल पर अखबार के बगल में रखते हुए धीरे से कहा "लगता है आज उसने फिर पी लिया है सुबह सुबह"
रामू गली के तरफ की खिड़की खोल कर देखता है, फिर लगा देता है । दूसरे तरफ की खिड़की खुली है । सामने नीम का पेड़ है । जो पूरी तरह उसी फ्लैट की तरफ झुका हुआ है । प्रोफेसर जब भी उस खिड़की से बाहर की ओर देखते हैं, वही नीम का पेड़ उन्हें दिखाई देता ।
रामू के कहते ही सुबह सुबह, मुरलीधर अपनी कलाई में लगी घड़ी देखते हैं । सुबह के 8 बज कर 13 मिनट हो रहे हैं ।
"गौतम है सर, वही जिसका दो बिल्डिंग बाद घर है । और एक दो आदमी है जो उससे बहस कर रहे हैं " रामू ने कहा ।
मुरलीधर चाय का कप उठा कर कहते हैं," छोड़ो उसे, ये लोग कभी नहीं सुधरेगा; अपना तो शांति से रहता नहीं है दूसरों के जीने में भी खलल डालता है"
मुरलीधर चाय पीते हैं और बोलते हैं," इसमें वो सुगर फ्री नहीं डाले हो क्या"
रामू, "अभी देते हैं , भूल गए...भूल गए थे डालने ।
रामू " तुम अभी से भूलने लगे हो, हम बूढ़े हो गए मगर सब याद है "
रामू समझ गया कि अब इनका रेडियो ऑन हो गया अब इसे बंद करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है । आखिर दर्शन शास्त्र में भी कुछ है ।
मगर रामू करे भी तो क्या , ये तो उसका रोज का काम है । सुनाइए सुनाते रहिए, हम सब सुन लेंगे और इस कान से सुनेंगे और उस कान से निकाल भी देंगे ।
"रामू ! "
" हाँ सर"
"क्या बना रहे हो ।"
"कद्दू की सब्जी । "
"देखो ठीक से बनाना , उस दिन कद्दू कड़ा ही रह गया था । तुम जानते हो ,मेरा दांत । कड़ी चीज हमसे खाया ही नहीं जाता ।"
चाय की कप खाली कर रखते हुए मुरलीधर बोले ।
पेपर उठाते हुए रुके फिर, बोले, " एक जमाने में , गौतम बुद्ध हुए । उन्होंने जीवन को जैसे देखा । कोई आज तक देख सका है क्या । नाम से क्या होगा । गौतम , अभी भी कोलाहल शुरू ही है । गौतम बुद्ध जहाँ एक ओर शान्ति ध्यान और ज्ञान की बात करते थे । कौन सुना है उन्हें, कौन पढ़ता है उन्हें ।"
"कल रात, बगल में ही डीजे बज रहा था । कुछ कार्यक्रम होगा । तुम तो खाना पीना बना कर चले गए पर मैं रात भर सो नहीं सका । 2 बजे बाद तक नींद ही नहीं आई , फिर 3 बजे तो जागने का समय हो गया । ये डीजे डीजे क्या है, इतना लाऊड आवाज, आदमी को तो इससे हृदयाघात कभी भी हो सकता है । "
"सब पागल नाच रहे थे, अश्लील गानों पर । कहाँ जा रहा है । समाज, सोसाइटी । पढ़ा लिखा- अनपढ़ सब बराबर । ये तो हाल है, कैसी परंपरा चल पड़ी है क्या कहें "
रामू ठीक इसके विपरीत सोच रहा था और भीतर ही भीतर सब्जी की भांति तलभुज रहा था । मन ही मन कहता है, "क्या करे सब गौतम बुद्ध हो जाए, पत्नी को छोड़ के । जैसे आप छोड़ दिए हैं सबको । "
रामू सोचता है और कई बार तो कोशिश की उनसे उनके परिवार के बारे में पूछें । मगर कोई नहीं जानता ज्यादा उनके बारे में कुछ । बस सबको इतना ही पता है "वे दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर रह चुके हैं और फ्लैट नंबर 13 में रहते हैं ।"
रामू ने कहा, " क्या कीजिएगा सर, वो सबको बोल भी तो नहीं सकते हैं । बोलने पर तो वे सबके सब झगड़े पर ही उतारू हो जाते हैं । एक दिन एक लड़का हमसे कह रहा था, डीजे के बिना मेरा दिमाग का कम्प्रेसर काम ही नहीं करता ।"
अचानक दरवाजा पीटने की आवाज आती है । मुरलीधर डर जाते फिर संभल कर कहते हैं," कौन हो भाई, इतने जोर से । "
मुरलीधर जैसे ही गेट खोलते हैं, सामने 4- 5 पुलिस खड़ी है ।
"आप ही रहते हैं यहाँ" पुलिस ने कहा
डरते हुए मुरलीधर ने कहा " हां..."
पूरे घर की तलाशी लो, रामू आता है .
ये कौन है । सर , ये किचन घर का काम करता है ।फ्लैट में सभी पुलिस का प्रवेश । दोनों को बिठा कर पूछताछ करने लगा उस दल को लीड करने वाला । उधर अन्य पुलिस पूरे घर की तलाशी लेने लगे । इतने में पुलिस को फोन आता है, और बात करने पर तुरंत सबको आर्डर देता है , फ्लैट नंबर 18 , भागो । बचने ना पाए । हड़बड़ा कर सब भागते हैं । उतने में सब माजरा समझ आ जाता है । थोड़ी ही देर में पूरे एक गाड़ी विदेशी शराब जब्त की गई, दो अपराधी हथियार के साथ गिरफ्तार किए गए । साथ में गौतम को भी सड़क पर पकड़ कर लाया जा रहा है । उसी के यहाँ ये सब अवैध काम होता था ।
ये सब मुरलीधर उसी निम पेड़ वाली खिड़की से सब देख रहे थे । वो ये समझ नहीं पा रहे थे कि मेरा कोई ग्रह गोचर में तो प्रॉब्लम नहीं चल रही, या इस फ्लैट में कोई प्रॉब्लम है क्या । 3 माह हो गए और हर तीसरे या चौथे दिन कुछ न कुछ लफड़ा हो ही रहा है । या ये कॉलोनी ही वैसी है । मुझे तो शक इसका भी है ये पुराने से जर्जर मकान भी कब धरासायी हो जाए, कहा नहीं जा सकता । लगभग 70 - 80 साल तो हो ही गए होंगे मेरी तरह । हमारे पास भी अब टाइम कितना है कौन जानता है । कि कब मौत आए और गिरफ्तार कर मुझे लेकर चल पड़े ।
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