गुरुवार, 3 जून 2021

 बारिस का वो दिन

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कुछ माह पूर्व , सर्टिफिकेट वितरण समारोह में एक आई टी इंस्टीट्यूट में मुझे आमंत्रित किया गया । मुख्य अतिथि के तौर पर वहाँ विद्यार्थियों से दो शब्द कहने सुनने का मौका मिला ।
उस दिन की सबसे खास बात थी कि रुक रुक कर लगातार बारिश होती रही । स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में उपस्थित थे, उत्साहित थे । लम्बी दूरी तय कर मैं भी वहाँ पहुंचा था और कार्यक्रम खत्म होते ही वापस निकल पड़ा । गाड़ी से रेलवे स्टेशन तक एक विद्यार्थी के साथ आया ।
मैं रेलवे स्टेशन पर खड़ा हूँ । भीड़ भी काफी है । चारों तरफ से वर्षा हो रही है । बिजली कड़क रही है । घटाटोप बादल घेरे है । तेज ठंडी हवा ऐसे जैसे कि उड़ा कर कहीं पटक दे । भींग तो गया था पूरी तरह पर मन में बड़ी प्रशन्नता थी कि चलो कार्यक्रम अच्छे से हो गया। ऐसे मौसम में भी विद्यार्थी कितने उत्साहित थे । उन सबके पास से होकर आते हुए मुझे ये टेंसन ही नहीं हुई कि बारिश हो रही है । मैं भींग गया हूँ । मेरे भीतर अब भी उत्साह की गर्मी थी । कुछ आसपास के लोग ठिठक कर खड़े थे । मानो उनका पूरा शरीर बोल रहा हो अभी ही बारिश पड़नी थी । बिजली ऐसे कौंध रही है । कहीं हमारे ही सिर पर ना गिर जाए । और उनके डर की मात्रा बढ़ने के साथ साथ बारिश भी अपनी तीव्रता में बढ़ोतरी किए जा रही ।
मूसलाधार बारिश जैसे कह रही हो, आज मैं नहीं छोडूंगी ।सब दिन का कोरकसर आज ले कर रहूँगी । ट्रैन को आने में विलंब था ।
मैं भी एकाएक सोचने लगा , कितने दिनों बाद मैं आज इतनी दूर आया और बारिश को आज ही इतना बरसना था । आधा दूर आ चुका था । अच्छा होता गाड़ी से ही आता पर जानबूझ कर ट्रेन से सफर करना चाहा ।
किसी तरह शाम को अपने स्थान पर पहुंचा । और थकावट तो थी ही । पर सुबह के मोटिवेशन का असर अब भी मुझ पर बरकरार है । यही तो खास बात होती है जब किसी से अच्छी अच्छी बात करते हैं, या दूसरों को किसी प्रकार से थोड़ी सी भी मदद क्यों ना करें । प्रशन्नता बनी रहती है ।
मध्य रात्रि के वक्त से मेरी तबियत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी । बारिश तो ठीक उसी चाल से हो रही थी जैसे दोपहर के वक्त । कभी कभी रात को मूसलाधार बारिश तो और डरावनी हो जाती है ।
सुबह मेरा स्टाफ दीपक आया । मुझे बेड पर पड़े होने पर पूछा , " सर, आप ठीक तो हैं,
वो छूकर फिर बोला " आपको तो बुखार आ चुका है "
मैंने कहा , हाँ, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है ।
करीब एक सफ्ताह हो गए । आठवें नवमें दिन मैं पुनः ठीक हुआ । अच्छा महसूस करने लगा । मुझे यह महसूस हो चुका था कि उस दिन की बारिश ने मुझे भी सर्टिफिकेट दे दिया कि आपमें बारिश सहने की क्षमता नहीं है । ज्यादा देर भींगे रहना शरीर की क्षमता के बाहर की बात है ।
उस दिन एक और चीज ये लगी कि आप कितना भी मोटिवेटेड , उत्साहित हो जाओ अगर आपमें क्षमता नहीं है ,इम्युनिटी पावर नहीं है तो सफलता संदिग्ध बनी रहेगी ।

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#rachnatmak_sansar
#abhinandan_creations

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