गुब्बारा(बेचने वाली वो
लड़की)
किसी का इंतजार करना बड़ा उबाऊ सिचुएशन होता है.ऐसे टाइम को पास करने का सबसे आसान तरीका है अपनी आँखें मोबाइल स्क्रीन पर गड़ाते हुए ऊँगली फेरते रहिए, लेकिन मेरे पास विकल्प नहीं था. मेरा मोबाइल फोन बैट्री ख़त्म होने का संकेत दे रहा था. मेरे लिए ये पल पकाऊ (irritating) था, पर रोचक (interesting) और यादगार (memorable) कैसे बन गया आइए सुनाता हूँ.इस स्टोरी को सुनाने की वजह यह भी है क्योंकि this scene is my first meet with a unknown girl.”

वह हरे और लाल फूल वाले पैटर्ननुमा, धुल से सनी फ्रॉक पहनी हुई है, जिसके एक- आध जगह सिलाई खुले हुए हैं. कभी कभी वह दाएं हाथ से जो गुब्बारों का गुच्छा पकड़ी हुई बदल लिया करती थी अनायास ही उसकी उँगलियाँ उस फटे हुए भाग चले जाती, धुंधले मन से ये सोचते हुए कि काश उसके कपड़े सिले हुए होते. इधर- उधर चक्कर लगा कर मॉल की लम्बी –ऊँची सीढियो पर बैठ जाती है.इस इन्तजार में कि कोई आये और उसका गुब्बारा खरीद ले. सीढ़ियों पर मॉल में आने-जाने वाले ग्राहकों का ताँता लगा हुआ है.कोई उस तरफ देखता भी है तो कोई देखना भी नहीं चाहता. किसी को फुर्सत नहीं तो किसी को फ्री में सबकुछ चाहिए. एक ग्राहक गुब्बारे की तरफ आ ही रहा था कि वो लड़की खड़ी हुई किन्तु क्या मन में आया वह ग्राहक भी चलता बना.
इस शोरगुल और आवजाही में वह मौन होकर कभी चारों तरफ देखती रहती.फिर कभी बैठे- बैठे अपने गुब्बारों को अपनी आँखें उठाये निहारती रहती. उसकी आँखों में गुब्बारे का प्रतिबिम्ब पड़ते ही वह चहक पड़ती, मुस्कुराने लगती और मीठे स्वर में कहने लगती “गुब्बारा ले लो..., गुब्बारा......”
“कितने का है एक” ये आवाज सुनते ही वह लड़की पीछे मुड़ी. आवाज देने वाली महिला के पास जाकर कहती है “10 रु०”. ग्राहक महिला अपने साथ खड़ी 5 साल की बेटी से पूछी- “कौन सा बेलून चाहिए मेरे बेटे को?”
प्यारी सी बच्ची ने लाल गुब्बारे की तरफ ऊँगली से इशारा करते हुए कही “वो”. उस लाल बेलून का धागा अपने बेटी को पकड़ाते हुए अपने भूरे पर्स से रूपये निकालने लगी.
गुब्बारा बेचने वाली लड़की, उस बच्ची को गुब्बारे से खेलती हुई ना देखकर उसके फ्रॉक को देखती है शायद वह ये सोच रही है कि काश मेरे पास भी उसके जैसा फ्रॉक होता. उस लड़की की मुखाकृति को देखते हुए सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने अंतर्द्वंदों को वह मन ही मन झेल रही है. उसका एक मन उसे अच्छे कपड़े ना होने का एहसास दिलाता है तो दुसरे ही पल उसके पास एक नहीं ढेर सारे गुब्बारे होने की खुशियों का झांसा दिलाता है.
“कहाँ देख रही है, ये लो 10 रु०” वह महिला पैसे थमाते हुए कार में जा बैठती है. कार आगे बढती चली गई, जिसकी खिड़की से वो बलून निकला हुआ था.
“कितना खुबसूरत लग रहा है ना भैया; लेलो तुम भी एक” वहीँ वाईक पर सवार एक जवान व्यक्ति से वो लड़की आग्रह करती है.
उस व्यक्ति के पीछे एक लड़की बैठी है मालूम पड़ता है उसकी गर्लफ्रेंड होगी. “ले लो ना जानू! कितना प्यारा है गुब्बारा.”गर्लफ्रेंड ने नखरीले टोन में उस व्यक्ति से कहा.
“तुम भी हद करती हो, क्या करोगी गुब्बारे का ? ”- व्यक्ति बोला.
“मैं अपने बेड रूम में लगाउंगी”- गर्लफ्रेंड ने जबाब दिया.
“ये लो. दिल वाला, इसके 20 रु० लगेंगे”- गुब्बारा बेचने वाली लड़की ने कहा.
(मुझे आश्चर्य हो रहा था,ये सोच कर कि एक गुब्बारे बेचने के लिए कितने ग्राहकों को झेलना पड़ता है)
“नहीं चाहिए. ये सब तुरंत फूट जाते हैं, फिर क्या फ़ायदा.” बाइक पर सवार वह व्यक्ति मुँह फेरते हुए कहा.
“नहीं फूटेगा, ये गुब्बारा अच्छा वाला है ”- लड़की बोली.
“फूट गया तो”- व्यक्ति ने कहा
“फूट गया तो और भी मज़ा आएगा”- लड़की बोली (हँसते हुए)
इतना सुनते ही उस व्यक्ति की गर्लफ्रेंड जोर-जोर से हँसने लगी.... और कही –“एक काम करो मुझे अपना सारा बलून मुझे दे दो ”
अचानक मेरा फोन vibrate हुआ.पॉकेट से मैंने मोबाइल निकला. स्क्रीन पर लिखा आ रहा था “unknown no Calling........”
मैंने फोन रिसीव करते हुए कहा “हेलो.....” .
उस गुब्बारे बेचने वाली लड़की को मेरी नज़र खोजने लगी पर शायद वो कहीं जा चुकी थी.
उधर से भी मुझे रिप्लाई मिला- “हेलो.” आवाज पहचानते हुए मैंने पूछा- “तुम कहाँ हो, मैं मॉल के सामने तुम्हारा एक घंटे से वेट (wait) कर रहा हूँ.”
“मैं मॉल के इंट्री गेट के सामने हूँ, ढेर सारा बलून लिए हुए”- वो बोली
“अच्छा वो तुम्हीं हो”- मैंने कहा.
उसके पास जाकर मैंने उससे पूछा ये व्यक्ति जो अभी गया कौन था ?
“वो....वो तो रिचार्ज वाले भैया थे.” उसने कहा.
“मैंने तो उसे तुम्हारा बॉयफ्रेंड समझ रहा था.आज कल तो दो –तीन बॉय फ्रेंड रखना आम बात हो गई है.”मैंने कहा.
“तुम भी ना.....” वो कहते हुए मेरे साथ मॉल में एंटर कर गई.
आज जब मैं इस कहानी को लिख रहा हूँ तो सोचता हूँ वो गुब्बारा बेचने वाली प्यारी सी लड़की नए फ्रॉक के लिए पैसे इकठ्ठा कर चुकी होगी.
-अभिषेक कुमार
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