हम ही हैं रास्ता
हम ही हैं रास्ता,
हम ही है राही।
इस जीवन की मंजिल,
है क्या ? बता तो सही।
काम काम और काम,
क्या यही है जिन्दगी का नाम।
ढूंढ रहा हूँ पद चिन्हों को,
किस ओर गए हैं मेरे राम।
तत्पर हूँ ताज त्याग करने को,
सहज तैयार हूँ वन गमन करने को।
उत्सुक हूँ, सत्य की रक्षा के लिए,
बता कहाँ शेष है, आग लगाने को।
जीतना जानता हूँ,
फिर भी स्वयं को अनभिज्ञ मानता हूँ।
यही तो रहस्य है जीवन का,
बता तो जरा, मैं जो सोचता हूँ।
हम ही हैं रास्ता,
हम ही है राही।
इस जीवन की मंजिल,
है क्या ? बता तो सही।
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