अखण्ड ज्योति
नव युग की संदेश वाहिका,
नवप्रभात की सुन्दर कलिका ।
महाकाल की नवीन चेतना,
साधु संत की प्रेरक संवेदना ।
ऋषि महर्षि की प्रखर साधना,
मानवीयता की अग्रदूत बनकर ।
विचार क्रांति का मशाल लिए,
अखण्ड ज्योति अवतीर्ण हुई है।
संस्कृति की बोध पुस्तिका,
संस्कार के बीज रोपने।
अध्यात्म ज्ञान से सिंचित करने,
विज्ञान क्षेत्र का विस्तार करने,
विचार शीलता को पोषित करने।
साहित्य जगत का उद्धार करने,
युग निर्माण का शंखनाद कर।
जन जन को श्रेष्ठ पाठ पर चलाने,
अखण्ड ज्योति अवतीर्ण हुई है।
नास्तिकता का निशान नहीं,
कुरीतियों की कालिख नहीं।
विपत्तियों मेन अब कोई अकेला नहीं,
राहे जिंदिगी में अब कोई भटेगा नहीं ।
गायत्री मंत्र है अमृत अनुदान,
गुरुवचन है पारस की खान ।
पूज्य गुरुदेव ने अपना जीवन हवन कर,
उज्ज्वल भविष्य की शुरूआत हुई है।
ईश्वरीय कृपा का अभिसिंचन करने,
अखण्ड ज्योति अवतीर्ण हुई है।
मुर्क्षित मानवता में नव जीवन आई है,
अज्ञान – अंधरे से सबसे मुक्ति पाई है
।
संशय – संदेह नहीं रहे, अब खुशहाली है,
काम क्रोध लोभ की जंजीरों को तोड़ें हम
।
युग ऋषि के बतलाए मार्ग को अपनाएं हम,
यज्ञ सुलभ लेकर आए गुरुवर ।
जन – जन को प्रज्ञावान बनाने,
अखण्ड ज्योति अवतीर्ण हुई है ।
जहाँ चर्चा हो गुरुवर के पाती की,
चेतन बन जाए जड़ भी माटी भी ।
परिवारों में प्यार बढ़े,
बच्चे सदाचारी बने।
युवाओं का आत्मविश्वाश बढ़े,
अभिभावक उत्तरदायी बने।
प्रज्ञावतार पूज्य गुरुदेव सृजित किए ,
वैज्ञानिक – अध्यात्म की आधार-शीला,
मनुष्य में देवत्व जगाकर,
स्वर्गधरा पर लाने;
अखण्ड ज्योति अवतीर्ण हुई ।
वेदमूर्ति की दिव्य कक्षा,
तपोनिष्ठ की दिव्यसुरक्षा ।
श्री राम की पुरुषार्थ परीक्षा,
पूज्य गुरुदेव की संकलित दीक्षा ।
ये पत्रिका नहीं पारस है,
सबको स्वर्ण बनाने;
अखण्ड ज्योति अवतरण हुई है ।
गुरु - शिष्य का गौरव नाता,
पिता- पुत्र का पवन रिस्ता।
पूरा विश्व अंधेरे में,
पूज्य गुरुदेव ने, अदभूत ज्योति जलाई।
पूरे विश्व को परिवार बनाकर,
हाथ – पकड़कर चलना सिखाये।
गृहस्थ जीवन को तपोवन बनाकर,
वात्सल्य प्रेम की गंगा बहाने;
अखण्ड ज्योति अवतीर्ण हुई है ॥
- - अभिषेक कुमार
abhinandan246@gmail.com
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