रविवार, 15 जुलाई 2018

प्रतिबद्धता से भयग्रस्त आज का इंसान : शुद्ध देशी रोमान्स (रचनात्मक संसार @ फिल्मी –बातें)


प्रतिबद्धता से भयग्रस्त आज का इंसान : शुद्ध देशी रोमान्स

फिल्म की कहानी और रिव्यू

आदमी जिस  परिवेश वातावरण में रहता है उसका पहनावा- ओढ़ावा, रहन- सहन, बात – विचार उसी के अनुरूप हो जाता है। बहुत कम लोग लीक से हट कर सोच पाते हैं। इसके कई कारण हैं । सबसे बड़ा कारण है कि समाज ने हमने विभिन्न प्रकार के नियम कानून से बांध रखा है। हम जिन्दगी भर सोचते रहते हैं कि हम आने वाले समय में स्वतंत्र हो कर जिएंगे पर ऐसा कहाँ हो पता है । बचपन में पढ़ाई और उसमें अव्वल आने का दबाव। तो कॉलेज के बाद नौकरी ढूँढने और कैरियर सेट करने का दवाब । फिर शादी करने का दबाव ।


शादी करने की बारी आए तो उसमें भी अपनी मर्जी नहीं, सामाजिक रीति रिवाज का दबाव । इन्हीं दबावों कि वजह से हम कन्फ़्यूजन में जीते हैं। डाऊट कभी हमारा पीछा नहीं छोडता। लाइफ सेटेलमेंट, बोले तो दाए हाथ में नौकरी और बाएँ हाथ में छोकरी। कौन सी नौकरी करूँ और कौन सी छोकरी से ब्याह करूँ? ये दोनों प्रश्न से शायद ही कोई इंसान बच पाया हो।
इस कहानी का पात्र रघुराम की  जिन्दगी, कुछ इसी उधेरबुन में है। रघुराम विदेशी लोगों को इंस्ट्रक्ट करता है यानि वो गाइड का काम करता है। मात्र यही नहीं हैं उसके काम दूकानदारों से कमीशन खाना भी  है । उनकी महंगी सामान बेचवा कर । साथ ही साथ शादी के सीजन में पेशेवर बाराती बनकर पैसे कमाता है।
वह सच्चे प्यार के लिए शादी करना चाहता है किन्तु शादी के बाद सच्चा प्यार मिलेगा या नहीं इसी कन्फ़्यूजन की वजह से वह अपनी शादी से भाग जाता है और किसी दूसरी लड़की (गायत्री) से ईश्क में पड़  जाता है। इन दोनों की मुलाक़ात एक शादी में हुई थी, जिसमें दोनों पेशेवर बाराती बनाकर गए थे। अब गायत्री भी आम लड़की की तरह नहीं है। उसे लगता है कि प्यार – व्यार मन का  खयाली पुलाव है। सच्चा  प्यार जिन्दगी में मिलता ही नहीं है। बस धोखे ही धोखे हैं इस जीवन में।
किन्तु,  रघु के उलझे बातों और भोलेपन स्वभाव के कारण गायत्री भी बड़े कन्फ़्यूजन में पड़  जाती है । किसी तरह बात आगे बढ़ते-बढ़ते दोनों एक दूसरे से शादी के लिए तैयार हो जाते हैं। किन्तु इस बार गायत्री शादी से भाग जाती है । अब रघु भी अजीबोगरीब सिचुएसन से गुजर रहा होता है । उसे कभी लगता है पहली शादी ही ठीक थी। फिर गायत्री से मैं शादी करना क्यों चाहता था। कभी लगता है कि गायत्री को मैंने ही मनाया था। इसके लिए गलती मेरी ही थी । फिर अचानक जिस लड़की तारा  को शादी में छोड़ कर भागा था  उसी से मुलाक़ात हो जाती है। फिर रघु  तारा  में फिल्मी रोमांस शुरू हो जाता है । इस रोमांस मे ब्रेक तब लगता है जब एक दिन रघु गायत्री से टकराता है इस दौरान सावित्री भी साथ होती है  । फिर रघु अनमने से रहने लगता है फिर तारा भी छोड़ कर चली जाती है।
रघु और गायत्री फिर से एक दूसरे के करीब आते हैं। दोनों में बातों का सिलसिला होता है। इतना सब हो जाने के बाद भी रघु को ये समझ नहीं आ रहा था कि  दोनों में से किसे चुने ?
शुरू से अंत तक दर्शकों को यही कन्फ़्यूजन का मामला सीट से बांधे रखता है । अंत में रघु और गायत्री को लगता है कि वे वास्तव में एक दूसरे से प्यार करते हैं। वहीं तारा को लगता है कि रघु उसे मिले न मिले पर, उसके  दिल में सदा रघु के लिए प्यार रहेगा। वहीं रघु को भी तारा  के लिए कहीं न कहीं यादें रहेंगी क्यों कि आदमी को ये याद नहीं रहता कि उसे एक दूसरे से प्यार कब हुआ बलिक उसे इस बात का हमेशा ख्याल रहता है कि उसको जो प्यार था किसी से वो कब छूटा था।
शादी के लिए भाड़े के बाराती, झूठी हँसी, दिखावटी सजावट और साजो सामान या ढेर सारे ताम- झाम कि क्या जरूरत है। शादी का मूल उद्देश्य तो सच्चा प्यार ही है तो फिर इस प्यार को शादी जैसे ठप्पे की क्या जरूरत है? तो इस कहानी की अपील है कि लीव इन रिलेसन शिप में जियो न यार । जोड़ी जम गई तो ठीक नहीं तो, तो भी ठीक। शादी करो, न करो क्या फर्क पड़ता है और शादी को लेकर घबराना कैसा? सच्ची बात तो यह है कि हमारा मन बड़ा चंचल है । उसका काम ही है कनफ्यूज रहना।
तो बात पते की ये है कि मन को नियंत्रित करने कि जरूरत नहीं है न ढील छोडने की। जो दिल करे कर डालो और सिर्फ यही सोचो की जो होगा वो देख जाएगा।6 सितंबर 2013 को रिलीज हुई ये फिल्म जिसका निर्देशन किया है मनीष शर्मा ने। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तो कमाल किया ही साथ ही कई अवार्ड भी अपने नाम किए। मनीष शर्मा को इस फिल्म के लिए फिल्म फेर अवार्ड से नवाजा गया है।
इस फिल्म में गायत्री का किरदार निभाया है परिनीति चोपड़ा ने, रघु का शुशान्त सिंह राजपूत ने, तारा का रोल अदा किया है वाणी कपूर ने, गोयल जो शादी का एक तरह से ठीकेदार का काम करता था उसका रोल अदा किए है ऋषि कपूर ने। एवं आँय किरदारों ने खूब अच्छा काम किया है।
 इस फिल्म के गाने भी हिट रहे हैं । बैक्ग्राउण्ड ट्रैक भी काफी अच्छा है। इस फिल्म के बेहतरीन म्यूजिक का श्रेय जाता  है सचिन जिगर को। इस फिल्म  मे कुल नो गाने हैं जिसमें मुझे 'गुलाबी' सॉन्ग बहुत अच्छा लगा।
 – अभिषेक कुमार, रचनात्मक संसार @ फिल्मी –बातें
डेट- 20.10.2013


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