रविवार, 20 अप्रैल 2025

C-7a: Pedagogy of social science [ B.Ed First Year ]

1. माध्यमिक स्तर पर पढ़ाने के लिए आपके द्वारा चुने गए विषय का क्षेत्र क्या है? उदाहरण सहित व्याख्या करें।

माध्यमिक स्तर पर पढ़ाने के लिए हमारे द्वारा चुने गए विषय सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण और रोचक विषय है। सामाजिक विज्ञान में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र और अर्थशास्त्र जैसे विषय शामिल होते हैं।

इतिहास

इतिहास हमें अतीत के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। माध्यमिक स्तर पर इतिहास पढ़ाने से छात्रों को अपने देश और दुनिया के इतिहास के बारे में जानने का अवसर मिलता है। उदाहरण के लिए, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में पढ़ाने से छात्रों को देश की आजादी के लिए लड़ने वाले नेताओं और उनकी भूमिका के बारे में जानने का अवसर मिलता है।

भूगोल

भूगोल हमें पृथ्वी की सतह और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। माध्यमिक स्तर पर भूगोल पढ़ाने से छात्रों को अपने देश और दुनिया के भौतिक और मानव भूगोल के बारे में जानने का अवसर मिलता है। उदाहरण के लिए, भारत के विभिन्न प्रदेशों की भौतिक और आर्थिक विशेषताओं के बारे में पढ़ाने से छात्रों को देश की विविधता के बारे में जानने का अवसर मिलता है।

नागरिक शास्त्र

नागरिक शास्त्र हमें नागरिकता और उसके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। माध्यमिक स्तर पर नागरिक शास्त्र पढ़ाने से छात्रों को अपने देश की नागरिकता और उसके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानने का अवसर मिलता है। उदाहरण के लिए, भारत के संविधान और उसके प्रावधानों के बारे में पढ़ाने से छात्रों को देश के नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानने का अवसर मिलता है।

अर्थशास्त्र

अर्थशास्त्र हमें आर्थिक प्रणालियों और उनके कामकाज के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। माध्यमिक स्तर पर अर्थशास्त्र पढ़ाने से छात्रों को अपने देश की आर्थिक प्रणाली और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने का अवसर मिलता है। उदाहरण के लिए, भारत की आर्थिक नीतियों और उनके प्रभावों के बारे में पढ़ाने से छात्रों को देश की आर्थिक स्थिति के बारे में जानने का अवसर मिलता है।

इन विषयों को पढ़ाने के लिए, मैं विभिन्न तरीकों का उपयोग करूंगा, जैसे कि व्याख्यान, समूह चर्चा और परियोजना कार्य। मेरा उद्देश्य छात्रों को सामाजिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करना है, और उन्हें अपने देश और दुनिया के बारे में जानने के लिए प्रेरित करना है।

2. अपने जिस विशेष शाखा का चयन किया है, उसके महत्व का वर्णन करें।

सामाजिक विज्ञान एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमें समाज और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। सामाजिक विज्ञान के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:

सामाजिक समझ

सामाजिक विज्ञान हमें समाज के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है, जैसे कि संस्कृति, इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र और अर्थशास्त्र। इससे हमें समाज की विविधता और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में समझने में मदद मिलती है।

नागरिकता

सामाजिक विज्ञान हमें नागरिकता और उसके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। इससे हमें अपने देश के संविधान और उसके प्रावधानों के बारे में समझने में मदद मिलती है, और हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम होते हैं।

आर्थिक समझ

सामाजिक विज्ञान हमें आर्थिक प्रणालियों और उनके कामकाज के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। इससे हमें अपने देश की आर्थिक स्थिति और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में समझने में मदद मिलती है, और हम अपने आर्थिक निर्णयों में सुधार कर सकते हैं।

सामाजिक समस्याओं का समाधान

सामाजिक विज्ञान हमें सामाजिक समस्याओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है, जैसे कि गरीबी, बेरोजगारी और असमानता। इससे हमें इन समस्याओं के कारणों और समाधानों के बारे में समझने में मदद मिलती है, और हम इन समस्याओं का समाधान करने में योगदान कर सकते हैं।

वैश्विक समझ

सामाजिक विज्ञान हमें वैश्विक मुद्दों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और वैश्विक आर्थिक संकट। इससे हमें वैश्विक समस्याओं के बारे में समझने में मदद मिलती है, और हम इन समस्याओं का समाधान करने में योगदान कर सकते हैं।

निष्कर्ष रूप से, सामाजिक विज्ञान एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमें समाज और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। इससे हमें अपने देश और दुनिया के बारे में समझने में मदद मिलती है, और हम अपने जीवन में सुधार कर सकते हैं।

3. शिक्षण सामग्री को परिभाषित करें और किसी भी तीन शिक्षण सामग्री का वर्णन करें। 

सामाजिक विज्ञान शिक्षण सामग्री वे साधन हैं जिनका उपयोग सामाजिक विज्ञान के विषयों को पढ़ाने के लिए किया जाता है। ये सामग्री छात्रों को सामाजिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने और समझने में मदद करती है।


सामाजिक विज्ञान शिक्षण सामग्री के उदाहरण हैं:


1. पाठ्यपुस्तकें


पाठ्यपुस्तकें सामाजिक विज्ञान शिक्षण सामग्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये पुस्तकें छात्रों को सामाजिक विज्ञान के विभिन्न विषयों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती हैं। पाठ्यपुस्तकें छात्रों को सामाजिक विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों और अवधारणाओं के बारे में जानने में मदद करती हैं।


2. नक्शे और एटलस


नक्शे और एटलस सामाजिक विज्ञान शिक्षण सामग्री का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये नक्शे और एटलस छात्रों को भौगोलिक जानकारी प्रदान करते हैं और उन्हें विभिन्न देशों, शहरों और क्षेत्रों के बारे में जानने में मदद करते हैं। नक्शे और एटलस छात्रों को सामाजिक विज्ञान के विभिन्न विषयों के बारे में विस्तार से जानने में मदद करते हैं।


3. वीडियो और डॉक्यूमेंट्री


वीडियो और डॉक्यूमेंट्री सामाजिक विज्ञान शिक्षण सामग्री का एक आधुनिक और प्रभावी तरीका है। ये वीडियो और डॉक्यूमेंट्री छात्रों को सामाजिक विज्ञान के विभिन्न विषयों के बारे में दृश्य रूप से जानने में मदद करते हैं। वीडियो और डॉक्यूमेंट्री छात्रों को सामाजिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से जानने में मदद करते हैं और उन्हें अधिक रुचिकर बनाते हैं।


इन शिक्षण सामग्रियों का उपयोग करके, शिक्षक छात्रों को सामाजिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने और समझने में मदद कर सकते हैं। ये सामग्री छात्रों को सामाजिक विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों और अवधारणाओं के बारे में जानने में मदद करती हैं और उन्हें सामाजिक विज्ञान के विभिन्न विषयों के बारे में विस्तार से जानने में मदद करती हैं।



4. सफल शिक्षक के गुना की व्याख्या करें।

एक सफल शिक्षक के गुण वे विशेषताएं हैं जो उन्हें अपने छात्रों को प्रभावी ढंग से पढ़ाने और उनकी शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास में मदद करने में सक्षम बनाती हैं। एक सफल शिक्षक के कुछ महत्वपूर्ण गुण निम्नलिखित हैं:


1. विषय विशेषज्ञता


एक सफल शिक्षक को अपने विषय की गहरी समझ और ज्ञान होना चाहिए। उन्हें अपने विषय के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए और वे अपने छात्रों को विषय के बारे में विस्तार से बता सकें।


2. संचार कौशल


एक सफल शिक्षक को अच्छे संचार कौशल का होना आवश्यक है। उन्हें अपने छात्रों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम होना चाहिए और उनकी जरूरतों और समस्याओं को समझने में मदद करनी चाहिए।


3. धैर्य और सहानुभूति


एक सफल शिक्षक को धैर्य और सहानुभूति का गुण होना चाहिए। उन्हें अपने छात्रों की समस्याओं और जरूरतों को समझने में मदद करनी चाहिए और उन्हें आवश्यक समर्थन प्रदान करना चाहिए।


4. रचनात्मकता


एक सफल शिक्षक को रचनात्मकता का गुण होना चाहिए। उन्हें अपने शिक्षण तरीकों में रचनात्मकता का उपयोग करना चाहिए और अपने छात्रों को आकर्षित करने और उन्हें सीखने में मदद करने के लिए नए और रोचक तरीके ढूंढने चाहिए।


5. नेतृत्व क्षमता


एक सफल शिक्षक को नेतृत्व क्षमता का गुण होना चाहिए। उन्हें अपने छात्रों को प्रेरित करने और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए नेतृत्व प्रदान करना चाहिए।


6. आत्म-मूल्यांकन और सुधार


एक सफल शिक्षक को आत्म-मूल्यांकन और सुधार का गुण होना चाहिए। उन्हें अपने शिक्षण तरीकों और परिणामों का मूल्यांकन करना चाहिए और आवश्यक सुधार करने के लिए तैयार रहना चाहिए।


इन गुणों के साथ, एक शिक्षक अपने छात्रों को प्रभावी ढंग से पढ़ाने और उनकी शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास में मदद करने में सक्षम हो सकता है। एक सफल शिक्षक के गुण न केवल छात्रों की शैक्षिक सफलता में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी सफल होने में मदद करते हैं।


5. पाठ्यचर्या और पाठ्यक्रम के बीच अंतर क्या है? सामाजिक विज्ञान पढ़ने के वर्तमान पाठ्यचर्या में आप क्या बदलाव सुझाएंगे? वर्णन करें। 


पाठ्यचर्या और पाठ्यक्रम दोनों शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर हैं:


पाठ्यक्रम


पाठ्यक्रम एक विशिष्ट विषय या पाठ्यक्रम के लिए निर्धारित सामग्री और लक्ष्यों को संदर्भित करता है। यह एक विस्तृत योजना है जिसमें विषय के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाता है और छात्रों को क्या सीखना है और कैसे सीखना है, इसकी रूपरेखा तैयार की जाती है।


पाठ्यचर्या


पाठ्यचर्या एक व्यापक अवधारणा है जिसमें पाठ्यक्रम के अलावा भी कई अन्य पहलू शामिल होते हैं। यह एक छात्र के समग्र शैक्षिक अनुभव को संदर्भित करती है, जिसमें पाठ्यक्रम, सह-पाठ्यचर्या गतिविधियाँ, मूल्यांकन और अन्य पहलू शामिल होते हैं।


अब, सामाजिक विज्ञान पढ़ने के वर्तमान पाठ्यचर्या में बदलाव के बारे में बात करते हैं। वर्तमान पाठ्यचर्या में कुछ बदलाव जो मैं सुझाऊंगा:


1. अधिक प्रासंगिक और समकालीन सामग्री


सामाजिक विज्ञान की पाठ्यचर्या में अधिक प्रासंगिक और समकालीन सामग्री शामिल होनी चाहिए। इसमें वर्तमान मुद्दों और समस्याओं को शामिल करना चाहिए जो छात्रों के जीवन से जुड़े हुए हैं।


2. अधिक व्यावहारिक और अनुभवात्मक शिक्षा


सामाजिक विज्ञान की पाठ्यचर्या में अधिक व्यावहारिक और अनुभवात्मक शिक्षा शामिल होनी चाहिए। इसमें छात्रों को वास्तविक जीवन की स्थितियों में सीखने का अवसर मिलना चाहिए।


3. अधिक विविध और समावेशी सामग्री


सामाजिक विज्ञान की पाठ्यचर्या में अधिक विविध और समावेशी सामग्री शामिल होनी चाहिए। इसमें विभिन्न संस्कृतियों, समुदायों और दृष्टिकोणों को शामिल करना चाहिए।


4. अधिक तकनीक-आधारित शिक्षा


सामाजिक विज्ञान की पाठ्यचर्या में अधिक तकनीक-आधारित शिक्षा शामिल होनी चाहिए। इसमें ऑनलाइन संसाधनों, डिजिटल टूल्स और अन्य तकनीकी साधनों का उपयोग करना चाहिए।


इन बदलावों के साथ, सामाजिक विज्ञान की पाठ्यचर्या अधिक प्रासंगिक, व्यावहारिक और समावेशी हो सकती है, जो छात्रों को बेहतर ढंग से तैयार कर सकती है।


6. सामाजिक विज्ञान में एक अच्छे मूल्यांकन की क्या विशेषताएं हैं? छात्रों के मूल्यांकन करने के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या करें।


सामाजिक विज्ञान में एक अच्छे मूल्यांकन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:


1. वैधता


एक अच्छे मूल्यांकन में वैधता होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि यह मूल्यांकन छात्रों के ज्ञान और कौशल को सटीक रूप से मापता है।


2. विश्वसनीयता


एक अच्छे मूल्यांकन में विश्वसनीयता होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि यह मूल्यांकन छात्रों के प्रदर्शन को लगातार और सटीक रूप से मापता है।


3. निष्पक्षता


एक अच्छे मूल्यांकन में निष्पक्षता होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि यह मूल्यांकन छात्रों के प्रदर्शन को बिना किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के मापता है।


अब, छात्रों के मूल्यांकन करने के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या करते हैं:


1. लिखित परीक्षा


लिखित परीक्षा एक पारंपरिक मूल्यांकन विधि है जिसमें छात्रों को लिखित प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। यह मूल्यांकन विधि छात्रों के ज्ञान और समझ को मापती है।


2. मौखिक परीक्षा


मौखिक परीक्षा एक मूल्यांकन विधि है जिसमें छात्रों को मौखिक रूप से प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। यह मूल्यांकन विधि छात्रों के संचार कौशल और आत्मविश्वास को मापती है।


3. परियोजना कार्य


परियोजना कार्य एक मूल्यांकन विधि है जिसमें छात्रों को एक विशिष्ट परियोजना पर काम करना होता है। यह मूल्यांकन विधि छात्रों के अनुसंधान, विश्लेषण और समस्या-समाधान कौशल को मापती है।


4. प्रस्तुति


प्रस्तुति एक मूल्यांकन विधि है जिसमें छात्रों को अपने काम या परियोजना को प्रस्तुत करना होता है। यह मूल्यांकन विधि छात्रों के संचार कौशल, आत्मविश्वास और प्रस्तुति कौशल को मापती है।


5. स्व-मूल्यांकन


स्व-मूल्यांकन एक मूल्यांकन विधि है जिसमें छात्रों को अपने स्वयं के काम का मूल्यांकन करना होता है। यह मूल्यांकन विधि छात्रों के आत्म-जागरूकता और आत्म-मूल्यांकन कौशल को बढ़ावा देती है।


इन विभिन्न प्रकारों के मूल्यांकन का उपयोग करके, शिक्षक छात्रों के ज्ञान, कौशल और प्रदर्शन का व्यापक मूल्यांकन कर सकते हैं। 

गुरुवार, 3 जून 2021

बहस बहस में

 बहस बहस में

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हेलो,
हाँ हेलो,
आप कौन,
आप कौन बोल रहे हैं ।
आपका कॉल आया था ।
आप कॉल किए और बोल रहे ....।
कहाँ से बोल रहे हैं ।
आप कहाँ से बोल रहे हैं ।
हम वो लाल जी बोल रहे हैं ।
ओहो, आपको पहले बोलना चाहिए । हम तो कुछ और समझ रहे थे ।
क्या समझ रहे थे ।
नहीं छोड़िए, और बोलिए क्या कह रहे हैं ।
वो कह रहे थे कि अगुआ फोन किया था,
चलिएगा लकड़ा देखने ।
चले जाएंगे मगर क्या करता है लड़का ।
कुछ नहीं, अभी तो बेरोजगार है ।
आप कहे थे कि वो लड़का फ्लिपकार्ट कार्ट में है ।
वो तो दूसरा लड़का था । आप जइबे नाय किए उस टाइम ।
तो अभी क्या , होगा । जाने से कुछ फायदा होगा । बोलिए ।
फायदा, कौन चीज का फायदा ।
फायदा देखिए तो बिहा कर पाइएगा ।
अरे बिहा (विवाह) करना है महाराज, क्या बात करते हैं ।
कैसे होगा, आप फायदा खोजते हैं । और पूछते हैं कि लड़का क्या करता है ।
तो क्या नहीं पूछें । काहे नहीं पूछेंगे ।
अच्छा, आप बताइए क्या करते है , बताइए जरा ।
हम...हम....शादी कराते हैं ।
अरे अब ना शादी कराने लगे पहले क्या करते थे ।
आप क्या करते है आप भी तो यहीं काम करते हैं ।
हमरा बात छोड़िए ।
कैसे छोड़ दें, जवानी में जब बेरोजगार थे हमी बिहा करा दिए थे ।
आप का कौन कराया था, भूल गए, आपके बाबू को हमी एडरेस दिए थे ।
इस तरह दोनों घंटों उलझ गए और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप चलता रहा ।

रामपुर । मैं इस इलाके में नया स्कूल में शिक्षक नियुक्त हुआ । बस की सवारी कर, शहर से अब गाँव आ गए ।पर लौडस्पीकर ऑन कर दोनों ने बहस करना जो शुरू किया वो बहस बहस में बढ़ते चला गया । मैंने बगल के यात्री को पूछा "ये कौन आदमी है जो कान पकाए जा रहा है । और स्कूल किस तरफ है । "
दूसरे ने बताया "दोनों को एक दूसरे का हाल पता है। एक संस्कृत का अध्ययन करके पंडित बन गया । दूसरा कर्मकांड कर काफी लोक प्रिय हो गया । दोनों को एक दूसरे से जलन होने लगी । पहले कि आँखें खराब हो गई थी पढ़ते पढ़ते । दूसरा असमय बहरा हो गया । परिणाम स्वरुप दोनों एक दूसरे के निकटवर्ती होते हुए भी बहस किया करते । दोनों अपनी अपनी पंडिताई खूब झाड़ते ।
उपरोक्त संवाद तो एक उदाहरण था जैसे , पूरे गाँव , बाजार, मोहल्ले में बस दो ही थे एक लाल बाबा, एक पिला बाबा । बात कुछ हो दोनों ऐसे उलझ पड़ते जैसे महाभारत अब होने ही वाला है । कोई हार मानने को तैयार ना था ।
कभी कभी बीच चौक पर शास्त्रार्थ शुरू हो जाता । भीड़ इक्कठी हो जाती । मामला घंटे दो घंटे कभी कभी तो 3 घंटे तक दोनों अपने बात पर अड़े रहते ।"
बेरोजगारी कुछ हुनर दे ना बोलने में एक्सपर्ट बना ही देती है । वो भी इतना नेगेटिव की आगे बात बन ही सकती । बेरोजगार तो यही समझते हैं कि सबके पास उतना ही टाइम है, जितना उनके पास होता है । और काम की बात पूछने पर भड़कना स्वाभाविक ही है । कुछ यही सब खुद से बात करता हुआ स्कूल की तरफ चल पड़ा पर जब भी किसी को बहस करते देखता तो लाल बाबा पिला बाबा की याद आ जाती ।

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 फिल्मी ज़िन्दगी

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क्योंकि तुम... ही हो, अब तुम ही हो....
मेरी जि...न्द...गी अब तुम ही हो .
हाँ, उस टाइम यही फ़िल्म रिलीज हुई थी, और.... दिस इज वन ऑफ माय फेवरेट सॉन्ग ।
और तुम्हारा ....?
मैं पोज दे रही हूँ, मेरा स्टिल फोटो सूट हो रहा है ।
और ये है माय फेवरेट कैमरा मैन मिस्टर अभिनव ।
अभिनव ही है ना तुम्हारे स्टुडियो का नाम , जल्दी बोलो, वीडियो कैमरा चालू है ।
ऐ सौर्य, बन्द कर, कैमरा । जब देखो तब कैमरा मेन बन जाता है ।
"मेम ,प्लीज आप अभी कुछ नहीं बोलें, बस स्माइल और अपने पोज को ठीक करें । " कैमरे का फ़्लैश चमकाते हुए उसने कहा ।
"अरे, यार, ये मेम कहना मुझे बन्द करो । और तुम चाहो तो नाम लेकर भी तो बुला सकते हो ।" मैं उसे रिक्वेस्ट करते हुए कही ।
मैंने इनडोर और आउटडोर और कई कॉस्ट्यूम में फोटो शूट करवाई । एक हफ्ता लग गया ये सब करते करते ।
और आ भी गया फोटो निकल कर ।
क्या कमाल की फोटो ग्राफी करते हो तुम । मुझे तो कभी यकीन नहीं हुआ कि मैं भी इतनी ..... ।
"आप है ही इतनी .... "(बोलते हुए रुक गया फिर आवाज आई)
"ब्यूटीफुल । आप का तो पक्का सेलेक्शन हो जाएगा । " वो बोला ।
ऑडिशन दिल्ली में था । मैं गई ऑडिशन में, आने के बाद माँ के पूछने पर मैंने कहा "ठीक ही गया, पर देखते है, आगे क्या होता है । अभी तो कुछ खास पता नहीं"
मां नहीं चाहती थी कि मैं मॉडलिंग करूँ या एक्ट्रेस बनूँ । पर बाद में एग्री हो गई थी पर उसे मेरी शादी की चिंता रहती थी ।
मां पूछी, और वो लड़का जो फोटोसूट करता है । कैसा है ।
ठीक है, "काफी टेलेन्ट है उसमें , दिल्ली के ही एक बड़े फोटोग्राफर से उसने फोटोग्राफी सीखी है ।" मैंने जवाब दिया ।
मां - "तुम्हें पसन्द है वो लड़का ?"
मैं- " मैं अभी शादी नहीं करने वाली"
मां- " तो कब करेगी"
मैं- " मेरा सिलेक्शन होने के बाद ।"
मां - "हमदोनों (मॉम-डैड) गए थे उसके स्टूडियो, चाय पीने ।
आज उसे यहां घर पर बुलाया है ।"
मैं - "क्या"
मां - "हाँ"
मैं समझ गई कि ये काम मेरा छोटा भाई सौर्य के अलावे कोई नहीं कर सकता । छोटा है पर है बड़ा जासूस । इसने ही मेरा व्हाट्सएप चैट और फोटो, मां दिखाई होगी ।
इस खबरीलाल को मैं नहीं छोडूंगी । वो भागा ।
सुन, अब तुझे कहीं नहीं ले जाऊंगी ।

शाम हुई । मैं सोच रही थी कि वो नहीं आए तो ही बेटर । फिर, नहीं, कोई दिक्कत नहीं मुझे । कम से इसी बहाने मेरे घर भी आ जाए । इधर उधर मैं आती जाती रही । इंतजार और इतनी घबराहट । मुझे तो पहले कभी सामना नहीं हुआ था इतना ।

रात हो गई पर नहीं आया वो, मां फोन कर बात की । वो किसी दूसरे प्रोजेक्ट के वजह से नहीं आ सका । अभी दूसरे शहर में हैं । जब सॉरी उसने मांगी तो सुकून मुझे मिला ।
एक सप्ताह पहले उसे जानती तक नहीं थी । और आज जानना नहीं चाहती । कभी कभी प्यार और दुश्मनी एक साथ पनप जाती है । मैं एक साथ गुस्से और प्यार में थी शायद । मैं खुद को कही पहले तो बड़ी कॉंफिडेंट थी आज क्या हो गया ।
जो भी हो एक सफ्ताह जैसे किसी रोमांटिक फ़िल्म की तरह गुजरी । वो फोटो शूट करता रहा और मैं उसके बारे में जानने की दिलचस्पी बढाती गई ।
"मैंने तो नहीं देखा था कभी ऐसा शख्स, जिसे कामुकता जरा भी नहीं छूती हो, मेरा जीप खुला होने पर कितने आराम से कहता है, आपका जीप खुला हुआ है । "
"आइसक्रीम की तरह उसका विहेव । बड़ा कूल बन्दा है वो ।" और ना जाने कितनी देर, उसके बारे में, सोचती रही ।
कई महीने बीते, इस दौरान मैं दो फिल्में करने लगी । मेरा और उसका कांटेक्ट खत्म ही हो गया । मैंने दुबारा कभी उससे बात नहीं की । और उसने भी कभी ये नहीं पूछा कि क्या हुआ । शायद उसके पास ना जाने कितने क्लाइंट आते होंगे । पर वो सारा चैट, बात चीत, तो झूठ नहीं हो सकता है । जिसमें उसने बताया था कि कैसे वो फोटो ग्राफी सीखने के लिए कभी आइसक्रीम काउंटर भी संभाला था । और कहाँ कहाँ नहीं भटका ।
और वो ये सब तो सबसे शेयर नहीं करता होगा ।
फिर उसका लेट नाइट चैट करना क्या ये सब यूँ ही तो नहीं ।
खैर, कुछ साल में ही मेरी जिन्दगी स्पीड के साथ बढ़ती चली गई । उन दो फिल्मों में छोटे से किरदार करने के बाद सीरियल में काम मिल गया । कोलकाता में ही शादी हो गई । पर शादी के कुछ दिन में ही मैं समझ गई जो मेरे ख्वाब में था वो ख्वाब ही रह जाएगा । मेरे पति महोदय का कहना है फ़िल्म वैगरह छोड़ो । और रोमांटिक बातें वो प्यार मोहब्बत सब फिल्मों में ही अच्छा लगता है । रियल लाइफ में वैसा कुछ नहीं ।
पर मुझे तो चाहिए थी फिल्मी लाइफ जो इसके ठीक अपोजिट होने को थी मेरी बाँकी जिन्दगी।
एक दिन अपने ही शहर गई वहीं स्टूडियो की तरफ , पर वहाँ का सीन बिल्कुल चेंज हो चुका था। मालूम हुआ कि वो जो स्टूडियो यहाँ था अब मुम्बई चला गया ।
सोचने लगी...
अब मैं ज़िन्दगी के उस चौराहे पर हूँ जहाँ से ये तय करना मुश्किल है कि जाना किधर है । चुनना क्या है फ़िल्म या ज़िन्दगी, या फिल्मी ज़िन्दगी, या फिर जिन्दगीनुमा फ़िल्म ।

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 हमसफ़र जूता


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हमसफ़र जूता । बहुत अच्छा नाम है सर । आज आपका ब्रांड किसी परिचय का मोहताज नहीं । इतने कम समय में आपने जो ग्रोथ किया है वो काबिलेतारीफ है ।
सबसे पहले ये बताइए कि आपको ये नाम कैसे सुझा मेरा मतलब है कहाँ से इंस्पिरेशन आया ।
पत्रकार, हमसफ़र फुटवियर के मालिक रघु राजन जी से एक इंटरव्यू में पूछा ।
रघु जी- देखिए, मुझे तो ये नहीं मालूम कि नाम कैसे आया पर यहाँ तक जो इसकी एक लम्बी कहानी है । उसे मैं कहे देता हूँ । अगर आप कहें तो । पत्रकार जिज्ञासा पूर्वक कहा- हाँ , हाँ प्लीज कहिए ।
रघु जी - मेरा शुरू से शौक था कि मैं पुलिस बनूँ । या डिफेंस में जाऊं । पर आप तो जानते है उस लड़के को जो बेंच पर सबसे पीछे की सीट पर बैठता है । स्कूल प्रेयर के बाद आप उसे रोज फटे हुए जूते पहने होने के कारण पिटे जाते हुए देखते
। मेरी पढ़ाई लिखाई कस्बाई स्कूलों में हुई जहाँ मेरी खूब पिटाई होती । शरारती तो था ही । और लापरवाह भी । सबको अपने होमवर्क की चिंता होती और मुझे अपने जूते की । मैं सोचता अगर पुलिस बन गया तो दोनों काम हो जाएगा । एक तो पुलिस के जूते मुझे पहनने होंगे दूसरा इन शिक्षकों की भरपूर पिटाई करूँगा ।
(हंसते हुए )
फिर आई बात कॉलेज की वहाँ भी परेशानी कम नहीं हुई । रोटी , घर, कपड़ा , का तो इंतजाम हो जाता मगर जूते की बारी आते आते जेब में से पैसे नदारद हो जाते । बेरोजगारी के दिन । सोचा किसी तरह कॉलेज कंपलीट कर कोई नौकरी ले लूँगा । पर जो लड़का मेट्रिक में घिच तीर कर पास हुआ हो वो लड़का इतनी भीड़ भड़क्का में नौकरी कैसे ले सकता है ।
अब वो दौर शुरू हो गया जिसमें लोग धक्का खाते हैं । ताने सुनते हैं । एड़ी चोटी एक कर देते हैं । पर घिसे हुए जूते के आलावे कुछ नहीं मिलता । ऐसा लगा मेरी ज़िन्दगी भी बिल्कुल इसी तरह घिस गई है ।
मेरे दोस्त लोग मेरा मजाक बनाते क्योंकि मेरे पास जूते तो थे पर ऐसा लगता हड़प्पा सभ्यता के भग्नावशेष से मिला हो । हालांकि अभी बचपन वाली स्थिति नहीं थी । बचपन में मेरे जूते में से अंगूठे तो हमेशा झाँकते हुए पाए जाते । पर बचपन की बात तो और है अब बड़े हो गए थे ।
कॉलेज की खास बात ये होती है आप लिखने पढ़ने में कैसे भी हों कोई बात नहीं मगर आपके पास गर्ल फ्रेंड नहीं है तो आपको डूब मरना चाहिए । क्या करें वातावरण ही ऐसा था । और एक बार तो आखरी पॉइंट तक आते आते एक लड़की हाथ से निकल गई । कारण बस वही । मेरा हमसफ़र जुता । लड़की भी पटे, नौकरी भी ना लगे, और आस पास इज्जत लूटने का डर हो । तो जिन्दगी बोझ लगने लगी ।
पत्रकार- आपके माता पिता ।
रघु जी- माता पिता भी थे पर अब स्वर्ग सिधार गए । पर माता पिता का भी बचपन से खूब आशीर्वाद रहा । जूते मांगने पर तो घर में जैसे भूचाल आ जाता । माता पिता आपस में ही लड़ पड़ते और उस लड़ाई के क्लायमेक्स का विलेन मुझे घोषित कर दिया जाता । जिसके परिणाम स्वरूप कभी जूतों से कभी चप्पल से पिटाई होनी तय थी ।
पत्रकार - ( हंसते हुए ) फिर भी आप बने रहे ।
रघु जी- नहीं, बनते बनते हर बार परिस्थितियों के फिसलन की वजह से मैं कई बार गिरता गया । और लगा कि अब जिन्दगी को अलविदा कहने का समय आ गया है ।
कड़ी धूप, दोपहर का समय, पुल पार करने से पहले मैं वही बैठ गया । और अचानक मैंने एक आदमी से पूछा भाई साहब , मरने के लिए सबसे आसान उपाय कौन सा होगा । पुल से कुद कर, या ट्रैन के नीचे आने पर, या सड़क पर गाड़ी से ।
वो व्यक्ति सज्जन रहा होगा, उनसे डरते हुए कहा, भैया ये तो मुझे एक्सपेरिएंस नहीं है । आप किसी दूसरे से पूछ लीजिए । इतना कहते हुए वो चला गया ।
मैं अकेले पुल की ऊंचाई देखता रहा, इतने में एक आदमी आवाज देता है, ऐ लड़का ... ऐ....
मैंने इशारे से पूछा मुझे। वो बोला और नहीं तो किसे, जल्दी आओ ।
वो आदमी ट्राई साइकिल पर बैठा था । मुझे धक्का लगाने के लिए कहा । पीछे सीट पर लिखा था हमसफ़र । उसने कहा मुझे पुल पार करवा दो । वो ऐसे बोला जैसे वो मुझे पहले से जानता हो । खैर मैं उससे वो बात पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाया ।मेरी नजर उसके पैर पर पड़ी । दोनों पैर विकलांग । जुते पहनने का सवाल ही नहीं ।
वो बोलने लगा । आज मेरा बेटा आया ही नहीं । आज काम भी ज्यादा है । और कोई आदमी भी नहीं । जिन्दगी में परेशानी अकेली कब आती है । ऊपर से धूप । बैंक से निकलते निकलते हो गया लेट । पकड़ा गए धूप में । और तुम नहीं आते तो और ना जाने कितना इंतजार करना पड़ता ।
क्या नाम है तुम्हारा । तुम क्या कर रहे हो अभी । मेरा मतलब है कहाँ काम करते हो ।
इतना पूछना था कि मैं घबरा गया । आना कानी करते हुए बात करते हुए चलता गया और उसके दुकान पर पहुंच गया ।
वहाँ पहुंचा तो मैं दंग रह गया कि यह आदमी इस स्टोर का मालिक है । जहाँ मैन्युफैक्चरिंग का भी काम होता है । उसने मुझे अपना वर्कशॉप दिखाया । फिर क्या था ।
मैं बाहर बैठ कर अपने जूते को निहारने लगा । आज मुझे अपने जूते की असली कीमत पता चली । और उसके साथ ही अपने पैर के महत्व का भी पता चला । तब से मैंने उन्हीं को जीवन दे दिया क्योंकि आखिर उसी ने बचाया मुझे । दूसरी बात जो सबसे अद्भुत लगी वो ये की जिस आदमी के पास पैर नहीं । जो आदमी जुता नहीं पहन सकता हो वो पूरे शहर को जूता पहना रहा है ।
अब हम दोनों एक दूसरे के हमसफ़र बन गए । और 'हमसफ़र जूता ' बाजार में आना शुरू हो गया । वो जो उस दिन मैंने जूता पहना था अब सचमुच संग्रहालय में रखे जाने की मांग की जा रही है ।
पत्रकार - अंत में रघु जी आप क्या संदेश देना चाहेंगे युवाओं को ।
रघु जी - हमारे जूते का जो ब्रांड है , उसका टैग लाइन है - its time to move. रुको नहीं । अटके की गए काम से । आगे बढ़ना ही जिन्दगी है । हमारे 'हमसफ़र जूते' पहनें और अपनी मंजिल तक पहुंचें ।
पत्रकार- हमारे इस कार्यक्रम में आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
रघु जी- आपको भी बहुत बहुत शुक्रिया ।

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 हमारे अंतर के संवाद -

( रात की बात, खुद के साथ)


आज सुबह जैसे जगा मौसम बदला सा था । घिरे बादलों और वर्षा के कारण घूमने टहलने नहीं जा सका । लगा दिन भर ऐसा ही रहेगा मौसम ।
पर 10 बजे के पहले ही दिन निकल गया । साफ आकाश, चमकीली धूप, हल्की ठंढी हवा । जैसे मौसम बदला वैसे ही मेरा मन भी बदल गया । मौसम के साथ हमारे मन का गहरा संबंध है । इसलिए तो चमकीले धूप के निकलते ही मूड फ्रेश सा लगने लगा ।
आज काम करने को बहुत है और ऐसे मौसम में दुगुना काम होता है । मन खुश हो तो वो खुशी काम में भी दिखाई पड़ती है ।
शाम को फिर तेज हवा चलनी शुरू हुई फिर तेज बारिश । बिजली और ठनके की आवाज । प्रकृति कितना विकराल रूप धारण कर लेती है । और कभी कितनी सौम्य रूप धारण किए रहती है । क्या हमारा व्यक्तिगत जीवन इससे प्रभावित नहीं होता । हमारा व्यक्तित्व या हमारा अंतर्जगत क्या इन सबसे विच्छिन्न रह सकता है ।
कितना सब कुछ है , फिर भी मनुष्य तनाव ग्रस्त रहता है । कई बार मैं खराब मौसम के वजह से रात भर, सो नहीं पाया, कभी बाहरी मौसम का ख्याल भी नहीं रहा । जब रात को शांतिपूर्ण ढंग से सोया तो फिर नई सुबह मुझे मेरा इंतजार करते हुए मिली । मन के कमरे जो किताबें फैली हुई थी उसने सबको नीन्द ने अपने अपने रैक पर सजा दिया हो जैसे ।
यही संवाद , रात में खुद के साथ करते हुए फिर से आँख लग रही है । नीन्द, स्वप्न, दिन , रात, ये प्रकृति, अस्तित्व में हमारा होना सब कुछ सौभाग्य पूर्ण है । ईश्वर ने इतना सब दिया है फिर भी हम अपने ही हाथों स्वंम को दीन हीन समझने की गलती करते रहते हैं । और ईश्वर के प्रति आस्था में उतनी प्रगाढ़ता दिखती नहीं । अपने ही दिमाग से कितने छले जाते हैं हम सब , है ना ।

- Abhishek Kumar "Abhunandan"

 बारिस का वो दिन

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कुछ माह पूर्व , सर्टिफिकेट वितरण समारोह में एक आई टी इंस्टीट्यूट में मुझे आमंत्रित किया गया । मुख्य अतिथि के तौर पर वहाँ विद्यार्थियों से दो शब्द कहने सुनने का मौका मिला ।
उस दिन की सबसे खास बात थी कि रुक रुक कर लगातार बारिश होती रही । स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में उपस्थित थे, उत्साहित थे । लम्बी दूरी तय कर मैं भी वहाँ पहुंचा था और कार्यक्रम खत्म होते ही वापस निकल पड़ा । गाड़ी से रेलवे स्टेशन तक एक विद्यार्थी के साथ आया ।
मैं रेलवे स्टेशन पर खड़ा हूँ । भीड़ भी काफी है । चारों तरफ से वर्षा हो रही है । बिजली कड़क रही है । घटाटोप बादल घेरे है । तेज ठंडी हवा ऐसे जैसे कि उड़ा कर कहीं पटक दे । भींग तो गया था पूरी तरह पर मन में बड़ी प्रशन्नता थी कि चलो कार्यक्रम अच्छे से हो गया। ऐसे मौसम में भी विद्यार्थी कितने उत्साहित थे । उन सबके पास से होकर आते हुए मुझे ये टेंसन ही नहीं हुई कि बारिश हो रही है । मैं भींग गया हूँ । मेरे भीतर अब भी उत्साह की गर्मी थी । कुछ आसपास के लोग ठिठक कर खड़े थे । मानो उनका पूरा शरीर बोल रहा हो अभी ही बारिश पड़नी थी । बिजली ऐसे कौंध रही है । कहीं हमारे ही सिर पर ना गिर जाए । और उनके डर की मात्रा बढ़ने के साथ साथ बारिश भी अपनी तीव्रता में बढ़ोतरी किए जा रही ।
मूसलाधार बारिश जैसे कह रही हो, आज मैं नहीं छोडूंगी ।सब दिन का कोरकसर आज ले कर रहूँगी । ट्रैन को आने में विलंब था ।
मैं भी एकाएक सोचने लगा , कितने दिनों बाद मैं आज इतनी दूर आया और बारिश को आज ही इतना बरसना था । आधा दूर आ चुका था । अच्छा होता गाड़ी से ही आता पर जानबूझ कर ट्रेन से सफर करना चाहा ।
किसी तरह शाम को अपने स्थान पर पहुंचा । और थकावट तो थी ही । पर सुबह के मोटिवेशन का असर अब भी मुझ पर बरकरार है । यही तो खास बात होती है जब किसी से अच्छी अच्छी बात करते हैं, या दूसरों को किसी प्रकार से थोड़ी सी भी मदद क्यों ना करें । प्रशन्नता बनी रहती है ।
मध्य रात्रि के वक्त से मेरी तबियत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी । बारिश तो ठीक उसी चाल से हो रही थी जैसे दोपहर के वक्त । कभी कभी रात को मूसलाधार बारिश तो और डरावनी हो जाती है ।
सुबह मेरा स्टाफ दीपक आया । मुझे बेड पर पड़े होने पर पूछा , " सर, आप ठीक तो हैं,
वो छूकर फिर बोला " आपको तो बुखार आ चुका है "
मैंने कहा , हाँ, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है ।
करीब एक सफ्ताह हो गए । आठवें नवमें दिन मैं पुनः ठीक हुआ । अच्छा महसूस करने लगा । मुझे यह महसूस हो चुका था कि उस दिन की बारिश ने मुझे भी सर्टिफिकेट दे दिया कि आपमें बारिश सहने की क्षमता नहीं है । ज्यादा देर भींगे रहना शरीर की क्षमता के बाहर की बात है ।
उस दिन एक और चीज ये लगी कि आप कितना भी मोटिवेटेड , उत्साहित हो जाओ अगर आपमें क्षमता नहीं है ,इम्युनिटी पावर नहीं है तो सफलता संदिग्ध बनी रहेगी ।

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C-7a: Pedagogy of social science [ B.Ed First Year ]

1. माध्यमिक स्तर पर पढ़ाने के लिए आपके द्वारा चुने गए विषय का क्षेत्र क्या है ? उदाहरण सहित व्याख्या करें। माध्यमिक स्तर पर पढ़ाने के लिए हम...