व्यर्थ चिंता से रहित
ऐसी बुद्धि बना दो माँ,
करूँ आराधना सदा तुम्हारी,
ऐसी बुद्धि बना दो माँ.
मन अविचल हो सदा हमारी,
हो जाये अगर, वर्षा अंगारों की.
पग अविराम हो सदा हमारी,
हो ऊँचे पर्वत या कतार काँटों की.
मिट जाये दुबिधा सारी,
ऐसी बुद्धि बना दो माँ,
करूँ आराधना सदा तुम्हारी,
ऐसी बुद्धि बना दो माँ.
हो वायु सुगन्धित, हरिभरी ये धरती सारी,
जीवन का हर दिन, हर पल हो खुशहाली.
लहराता रहे ध्वज हमारा, सारा जहाँ स्वतंत्र हो,
बचपन से बुढ़ापा, सारा जीवन वसंत हो.
मन मंदिर में दर्शन दो माँ,
शुभ कर्म पुष्प स्वीकार करो माँ.
करूँ आराधना सदा तुम्हारी,
ऐसी बुद्धि बना दो माँ.
काम क्रोध के जालों से,
मुक्ति मिले हर विपदाओं से.
वरद हस्त जो तेरा माँ.
मेरे सिर पर रख दो.
तूफानी मझधारों में आँचल माँ,
मेरे हाथों में पकड़ा दो.
विवेकानंद सदृश्य बना दो माँ,
काले मन को स्वेत कमल बना दो माँ.
मानवता की सेवा में लग जाये आयु सारी,
सबके ह्रदय में स्नेह बरसा दो माँ.
करूँ आराधना सदा तुम्हारी,
ऐसी बुद्धि बना दो माँ.
वाणी ऐसी मैं बोलूँ,
सबके जीवन में रस घोलूं.
हर संगीत में प्रेरणा तेरी,
सम्पूर्ण सृष्टि रचना तेरी.
मन मस्तिष्क में केवल तुम हो
ज्ञान –विज्ञान की कल्पना तुम हो
हर कला हर कल्पना है तुम्हारी,
मुझमें भी एक अंश डाल दो माँ.
आस्था और श्रद्धा, ना कम हो कभी,
ऐसी बुद्धि बना दो माँ.
करूँ आराधना सदा तुम्हारी,
ऐसी बुद्धि बना दो माँ.
- अभिषेक कुमार